For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : कोई चले न जोर तो जूता निकालिये

बह्र : मफऊलु फायलातु मफाईलु फायलुन (221 2121 1221 212)

---------

चंदा स्वयं हो चोर तो जूता निकालिये

सूरज करे न भोर तो जूता निकालिये

 

वेतन है ठीक  साब का भत्ते भी ठीक हैं

फिर भी हों घूसखोर तो जूता निकालिये

 

देने में ढील कोई बुराई नहीं मगर

कर काटती हो डोर तो जूता निकालिये 

 

जिनको चुना है आपने करने के लिए काम

करते हों सिर्फ़ शोर तो जूता निकालिये

 

हड़ताल, शांतिपूर्ण प्रदर्शन, जूलूस तक

कोई चले न जोर तो जूता निकालिये

---------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1060

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sarita Bhatia on August 23, 2013 at 5:37pm

क्या बात है आदरणीय आज के मुताबिक सटीक शेर ,बधाई 

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on August 23, 2013 at 4:24pm

बहुत बढियां गज़ल, आदरणीय धर्मेन्द्र जी ! खासकर, 'जूता निकालिए' इस रदीफ के लिए तो क्या कहने ! ढेरों दाद कबूलें.....!

Comment by Shyam Narain Verma on August 23, 2013 at 3:33pm
बहुत ही सुन्दर! हार्दिक बधाई आपको!
Comment by Vinita Shukla on August 23, 2013 at 1:24pm

बहुत खूब...गंभीर बातों की, रोचक अभिव्यक्ति. बधाई स्वीकारें.

Comment by Lata tejeswar on August 23, 2013 at 12:18pm

वेतन है ठीक  साब का भत्ते भी ठीक हैं

फिर भी हों घूसखोर तो जूता निकालिये

  bahut achha ...

Comment by नादिर ख़ान on August 23, 2013 at 11:04am

वर्तमान परिपेक्ष  में सटीक गज़ल, एक से बढ़कर एक शेर

बहुत खूब आदरणीय आदरणीय धर्मेंद्र जी ...

Comment by Abhinav Arun on August 23, 2013 at 5:33am

 क्या कहने आदरणीय ...सही है अब बातों से बात बनती नहीं दिख रही है ....ये तेवर अपनाना ही पड़ेगा ...सौ सौ साधुवाद इस मारक ग़ज़ल पर ..जन गन मन को स्वर दिया है कमाल कमाल !!

Comment by वेदिका on August 23, 2013 at 1:51am

चंदा स्वयं हो चोर तो जूता निकालिये

सूरज करे न भोर तो जूता निकालिये ...वाह क्या शानदार मतला है!!

बहुत शानदार और जोश भरी गजल कही आपने आदरणीय धर्मेन्द्र जी! बधाई !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 23, 2013 at 1:41am

वेतन है ठीक  साब का भत्ते भी ठीक हैं

फिर भी हों घूसखोर तो जूता निकालिये...........वाह! बहुत खूब, रिश्वतखोर नुमाइन्दो के लिए सटीक शेर

जिनको चुना है आपने करने के लिए काम

करते हों सिर्फ़ शोर तो जूता निकालिये...........यह भी खूब कहा, देश के नेताओ के लिए

वाह! आदरणीय धर्मेन्द्र जी वाह... बेईमान घूसखोरो पर बहुत सुंदर गजल प्रस्तुत की, हार्दिक बधाई स्वीकारें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service