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"क्या यह बात सच है कि कल तुम्हारी बेटी से बलात्कार किया गया ?"
"हाँ साहब, कल शाम खेतों से लौटते हुए मेरी बेटी की इज्ज़त लूटी गई !"
"क्या तुम जानते हो कि दोषी कौन है !?"
"मैं ही नही साहब, सारा गाँव जानता है उस पापी को जिसने मेरी बेटी को बर्बाद किया है !"
"मगर इतनी बड़ी बात होने के बावजूद भी तुमने थाने जाकर रिपोर्ट क्यों नहीं लिखवाई ?"
"क्योंकि मैं अपनी बेटी का सामूहिक बलात्कार नही चाहता था ! "

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Comment by Surinder Narang on December 21, 2010 at 11:41pm

It depicts the real state of affairs and what is happening in our police stations.

Thanks for highlighting.

Surinder Narang

Comment by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on December 21, 2010 at 8:54pm
vyavastha ki khilaaf rosh ki sashakt abhivyakti hai ye kahani...Badhai..!!

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2010 at 8:32pm

क्योंकि मैं अपनी बेटी का सामूहिक बलात्कार नही चाहता था !

 

बहुत ही करारा चोट है , समाज और व्यवस्था के ऊपर , बेहतरीन लघु कथा |

Comment by Rash Bihari Ravi on December 21, 2010 at 6:58pm

sir ji aapka jabab nahi

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