For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नव गीत --आ चल फिर बच्चे हो जायें ( गिरिराज भंडारी )

नव गीत

*******

आ चल फिर बच्चे हो जायें

खेलें कूदे मौज मनायें

बिन कारण ही,

रोयें गायें , हँसे  हँसायें,

आ चल फिर बच्चे हो जायें !

 

मेरी कमीज़ है गन्दी तो क्या

तू कुछ उजला उजला तो क्या

मिट्टी मे खेलें,

धूल उड़ायें ,

चल हम सब गन्दे हो जायें

आ चल फिर बच्चे हो जायें !!

 

मै दौड़ूं  तू पीछे आये

मुझे धकेले और गिराये

चोट लगे मुझको, मै रो दूँ

तू डर जाये ,

दौड़े दौड़े पास मे आये

मै उठ न पाउँ,

मुझे उठाये ,

घर पहुंचाये ,

मात- पिता की गाली खायें

आ चल फिर बच्चे हो जायें !!!

 

फिर दूजे दिन,

कल को भूलूँ ,

रस्ता देखूँ ,

कि तू आये , मुझे मनाये

मै मानूँ , फिर भागे दौड़ें

फिर मुझे गिराये ,

और उठा के घर पहुँचाये

आ चल फिर बच्चे हो जायें !!!!

मौलिक एवँ अ प्रकाशित

Views: 795

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 6, 2013 at 8:24pm

गिरिराज भाई पढ़्कर उम्र 60 साल कम हो गई, बधाई।   दुबारा "फिर मुझे गिराये ,और उठा के घर पहुँचाये" कहना गीत का नम्बर कुछ कम कर देता है।

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 6, 2013 at 6:47pm

आ० गिरिराज भंडारी जी 

बच्चों के मन की निश्छलता को समेटी सुन्दर अभिव्यक्ति.. पर आदरणीय यह नवगीत नहीं.. क्योंकि नवगीत एक नव्यता आधुनिकता के साथ किसी कथ्य की संदेशपरक प्रस्तुति करता है.. साथ ही इस अभिव्यक्ति में गेयता भी काफी बाधित है और कहीं कहीं प्रवाह अटक रहा है. आदरणीय बृजेश जी के कहे पर मेरी भी सहमति हैं कि प्रत्येक बंद में मात्रिक विन्यास समान होना चाहिये.

आपने कहीं कोई बिम्ब भी प्रयुक्त नहीं किया है.. बिम्बयोजन नवगीत की खासियत होता है..

नवगीत के शिल्प पर आलेख आप देख ही चुके हैं, इसे तदनुरूप परिवर्तित करके बाल साहित्य समूह में अवश्य ही पोस्ट करें. 

सादर धन्यवाद 

शुभ कामनाएँ 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 8:50pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई जी , हौसला अफजाई के लिये आपका हार्दिक आभार !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 8:48pm

आदरणीय केवल भाई , रचना को आपकी स्वीकृत और सराहना से सच मे मेरा उत्साह वर्धन हुआ , बहुत आभार !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 5, 2013 at 8:09pm

सच! बचपन तो बचपन होता है, सिर्फ खेलना , खिलखिलाना, जिद करना, रूठना,मनाना,और बहुत से सुंदर पल, 

 हमेशा खूबसूरती ली हुयी बचपन की अनमिट यादों पर बहुत सुंदर प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें आदरणीय गिरिराज जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 5, 2013 at 7:42pm

आ0 भण्डारी भाई जी,   सादर प्रणाम!    वाह! बहुत खूब।  प्रथम दो बन्द तो लाजवाब - अप्रतिम।   इस सुन्दर गीत भावों के लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाओं  सहित हार्दिक बधाई।   सादर, 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 7:39pm

आदरणीय बसंत भाई , आपका बहुर आभार , नवगीत की सराहना के लिये !!

Comment by बसंत नेमा on September 5, 2013 at 3:04pm

एक मासूम सी रचना जिसे पढ कर अपना बचपन याद आ गया .....सुन्दर अति सुन्दर ...आ0 गिरिराज जी बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 2:54pm
बृजेश भाई , सराहना के लिये आभार , आपकी सलाह सर आंखो पर . पोस्ट मै अवश्य पढ के सीखने का प्रयास करूंगा !!
Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 2:18pm

आदरणीय गिरिराज जी,
बहुत ही सुन्दर! आपने बचपन फिर से लौटा दिया। सशक्त अभिव्यक्ति।
इस विधा के बारे में यह कहना चाहूंगा कि जितने भी अंतरे हों, सबका शिल्प एक जैसा रखा करें।
भारतीय छंद विधान समूह में नवगीत पर दो पोस्ट हैं। कृपया उन्हें देख लें।
इस सशक्त अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई!
सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
2 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
20 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service