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तुमने हारा है मुझपे दिल अपना...

तेरे चेहरे में वो खुमारी है, रात करवट बदल गुज़ारी  है ।

तुमने हारा  है मुझपे दिल अपना,हमने भी तुमपे नींद हारी है ॥

 

तुम भी सोते नहीं हो रातों को,

हम भी बस करवटें बदलते हैं ।

तुम शमा बन के उधर जलते हो,

हम इधर मोम  से पिघलते हैं ॥

 

उस तरफ तुम भी बेक़रार से हो, और यहाँ पर भी बेकरारी है ।

तुमने हारा  है मुझपे दिल अपना,हमने भी तुमपे नींद हारी है ॥

 

तुम बहुत दूर हो मुझसे लेकिन,

जाने क्यूँ आस-पास लगते हो ।

कल तलक अजनबी के जैसे थे,

आज क्यूँ इतने ख़ास लगते हो ॥

 

दिल तो पहले ही "वीर" दे बैठे, अब तो ये जान भी तुम्हारी है |

  तुमने हारा  है मुझपे दिल अपना,हमने भी तुमपे नींद हारी है ॥

 

तेरे चेहरे में वो खुमारी है, रात करवट बदल गुज़ारी है ॥

तुमने हारा है मुझपे दिल अपना, हमने भी तुमपे नींद हारी है ॥

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2013 at 11:58am
अनिल भाई , अच्छी अभिव्यक्ति और सुन्दर रचना के लिये बधाई !!
Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 6, 2013 at 11:45am

Shyam Narain Verma ji Ashish Srivastava ji Basant Nama Ji.... बहुत बहुत शुक्रिया ... मै  नया हूँ इस विधा में बस  इसी तरह अपना आशीर्वाद देते रहे मुझे  

Comment by बसंत नेमा on September 6, 2013 at 11:40am

खूबसुरत ..रचना खुबसुरत ख्याल एक खुबशुरत अभिब्यक्ति ..... बधाई आ0 अनिल जी 

Comment by Ashish Srivastava on September 6, 2013 at 11:06am

उत्तम भाव अभिव्यक्ति 

Comment by Shyam Narain Verma on September 6, 2013 at 10:54am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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