For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्‍वाति सी कोई कथा-कहानी

चातक का इक शहर, लिखो ना

कसमस करती

इक अंगड़ाई

गुनगुन गाता

भ्रमर, लिखो ना

चैताली वो रात सुहानी

शारद-शारद

डगर, लिखो ना

किसी कास की शुभ्र हँसी में

होती कैसी लहर, लिखो ना

इक देहाती

कोई दुपहरी

पीपल की

कुछ सरर, लिखो ना

शीशे सा वो

थिरा-थिरा जल

अनमुन बहती

नहर, लिखो ना

पारिजात की भीनी खुशबू

धिमिद धिमिद वो ठहर, लिखो ना

हंसी-ठिठोली

करती राधा

सुर में गाता

अमर, लिखो ना

पूजन सा वो

खिला समर्पण

मंदिर सा वो

जिगर, लिखो ना

तितली भरी किताबों जैसी

उड़गन की कुछ खबर, लिखो ना

सामवेद की

शाखा छूकर

आयी पहली

प्रहर, लिखो ना

केसरिया कुछ

सांझ सुहानी

जुगनू वाले

शज़र, लिखो ना

महुए का वो रग-रग छूना

गुड़ सा पकता उमर, लिखों ना

(सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1172

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 7, 2013 at 4:06pm

बेहतरीन 

Comment by ram shiromani pathak on September 7, 2013 at 3:27pm

इक देहाती

कोई दुपहरी

पीपल की

कुछ सरर, लिखो ना

शीशे सा वो

थिरा-थिरा जल

अनमुन बहती

नहर, लिखो ना

पारिजात की भीनी खुशबू

धिमिद धिमिद वो ठहर, लिखो ना//

वाह आदरणीय राजेश जी अनुपम शब्द संयोजन ,बहुत ही सुन्दर गीत //हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by vandana on September 7, 2013 at 7:21am

बहुत बहुत खूबसूरत 

Comment by annapurna bajpai on September 6, 2013 at 11:53pm

वाह !!!!!!!!!!!!!!! बहुत ही बढ़िया , सुंदर , अनुपम  रचना बधाई स्वीकारे आ0 । 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on September 6, 2013 at 7:26pm

आ0 राजेश भाई जी,    वाह..वाह..बहुत सुन्दर नवगीत।    आपको बहुत-बहुत हार्दिक बधाई।  सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 6, 2013 at 6:01pm

वाह्ह्ह्ह्ह राजेश कुमार झा जी बहुत ही मनोहारी मुग्ध करने वाला गीत लिखा गाँव की दुपहरी चम्पई रातें प्रकृति सब का एक चित्र सा मुखरित कर दिया शब्दों माध्यम से
एक संशय ---गुड़ सा पकता उमर, लिखों ना----उमर शायद वयस के लिए लिखी तो स्त्री लिंग हुई तो पकता कैसे आएगा
उडगन है या उड्गन ?
हंसी-ठिठोली
करती राधा
सुर में गाता
अमर, लिखो ना
पूजन सा वो
खिला समर्पण
मंदिर सा वो
जिगर, लिखो ना
तितली भरी किताबों जैसी
उड़गन की कुछ खबर, लिखो ना
लाजबाब लाजबाब ,हार्दिक बधाई इस नवगीत पर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2013 at 4:32pm

आदरणीय राजेश भाई , लाजवाब गीत की रचना की है आपने , पढ़्ना शुरु किया तो बस पढ्ता की गया , जैसे बह रहा  होउँ !!  इस गीत का खतम होना ने मन को अखरा दिया दिया हो !! बहुत हार्दिक बधाई !!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 6, 2013 at 4:17pm

आदरणीय राजेश सर जी सादर प्रणाम 
बहुत ही सुन्दर गीत रचा है आपने 

इक देहाती

कोई दुपहरी

पीपल की

कुछ सरर, लिखो ना

शीशे सा वो

थिरा-थिरा जल

अनमुन बहती

नहर, लिखो ना

पारिजात की भीनी खुशबू

धिमिद धिमिद वो ठहर, लिखो ना..............शानदार ..........बहुत बहुत बधाई स्वीकारें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , चित्र के हर बिंदु का आपने रचना में उतार दिया है , बहुत बढ़िया , बहुत बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय भाई दिए हुए चित्र पर  बहुत सुन्दर छंद रचे हैं आपने ,  पेड़ रहा था सोच, कि…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , हमेशा की तरह आपकी ये क्छ्न्दा रचना भी बहुत बढ़िया हुई है | आपको हार्दिक…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    रोला छंद * सीढ़ी  पर  है  एक, तीन  दीवारों  पर। लगते है शिशु…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी , चित्र के अनुरूप आपकी छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाई  चित्र को बखूबी चित्रित कर रही है आपकी रचना , हार्दिक बधाइयाँ आपको "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय बड़े भाई , आभार आपका "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"मिले बहुत दिन बाद, चूस कर खाने वाले, गूदे से मुँह-हाथ, गाल लिपटाने वाले,.....अहा! बहुत सुन्दर…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, रोला छंदों की प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रचना पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत-बहुत आभार आदरणीय मयंक जी.. सादर "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service