सोये वीरों को जगाना चाहते हैं इसलिए
वीर रस के गीत गाना चाहते हैं इसलिए
माँ बहन बेटी की इज्ज़त से न खेले अब कोई
इक कड़ा कानून लाना चाहते हैं इसलिए
मर न जाए कोई भी आदम दवा बिन भूख से
हम गरीबी को हटाना चाहते हैं इसलिए
हम विरोधी पश्चिमी तहजीब के हरदम रहे
संस्कृति अपनी बचाना चाहते हैं इसलिए
रक्त की नदियाँ बहें ना देश में दंगों से अब
रक्त में अब हम नहाना चाहते हैं इसलिए
राह में हुड़दंगियाँ जो कर रहे हैं नौजवाँ
बस अमन औ चैन पाना चाहते हैं इसलिए
ठोकरें हमनें जो खाई वो किसी को ना मिलें
राह से पत्थर उठाना चाहते हैं इसलिए
ढूंढते चिंगारियाँ हैं हम अँधेरी राह में
“दीप” इक सच का जलाना चाहते हैं इसलिए
"मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर जी ......स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया अन्नपूर्णा जी ....सादर आभार
आपका बहुत बहुत आभार आदर्नेया सरिता जी ......सादर
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सिज्जू जी ....स्नेह बनाये रखिये
वाह वाह प्रिय मित्रवर आनंद आ गया क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने सभी के सभी अशआर लाजवाब हैं दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.
बहुत सुन्दर ग़ज़ल .. बधाई
बहुत बढ़िया ग़ज़ल संदीप जी .... बधाई हो
आदरणीय संदीप जी बहुत सुंदर गजल के लिए बधाई ।
क्या बात बहुत बढ़िया अशआर संदीप जी ,बधाई स्वीकार करें
//ठोकरें हमनें जो खाई वो किसी को ना मिलें
राह से पत्थर उठाना चाहते हैं इसलिए//
बहुत बढ़िया संदीपजी बेहतरीन ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online