घर में शामो सहर पड़ी बेटी
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बिटिया को समर्पित हृदय स्पर्शी खूबसूरत गज़ल
बरबस गुनगुनाने को बाध्य करती सुन्दर प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई
bahut bahut shukriya sabhi aadarneey ka
आ0 सुशील जी बेटियाँ ऐसी ही होती है , बहुत बधाई आपको सादर ।
sunder kriti
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आदरणीय-
बधाई स्वीकारें
सादर
चिंतित मानस पटल है, विचलित होती बुद्धि |
प्रतिदिन पशुता बलवती, दुष्कर्मों में वृद्धि |
दुष्कर्मों में वृद्धि, कहाँ दुर्गा है सोई |
क्यूँ नहिं होती क्रुद्ध, जगाये उनको कोई |
कर दे माँ उपकार, दया कर दे माँ समुचित |
हम बेटी के बाप, हमेशा रहते चिंतित ||
बहुत ही शानदार और मार्मिक ग़ज़ल शुशील जी ... बधाई स्वीकार करें ...
बेटी एक प्यारा सा रिश्ता एक प्यारा सा एहसास !!
बहुत सुन्दर रचना .. हार्दिक बधाई
घर भर की है शान बेटियाँ
जीवन की है आन बेटियाँ
दिल में जो बस जाती है
वो प्यारा अहसास बेटियाँ
बेटियों के प्रति बहुत प्यारा अहसास दर्शाती सुंदर अभिव्यक्ति
हार्दिक बधाई सुशील ठाकुर जी
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