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कुंडलिया छंद-लक्ष्मण लडीवाला

(1)

कन्या होती भाग्य से,रखना इसका मान

कन्या घर में आ रही, ले गौरी  वरदान |

ले गौरी वरदान,  आँगन कुटी मह्कावे,

घर आँगन चमकाय,कुसुम कलियाँ खिलजावे

शिक्षा का हो भान, बनावे शिक्षित सुकन्या

रखती मन में धैर्य,कष्ट सहती है कन्या

.

(2)

जन्मे बेटी भाग्य से, घर को दे मुस्कान

पालन -पौषन  साथ ही, पावे  शिक्षा ज्ञान |

पावे  शिक्षा ज्ञान, समाज बने संस्कारी   

नारी का हो मान, करे देश प्रगति भारी |

दे दो ये सन्देश, शिक्षित बेटी हो घर में

घर होवे खुशहाल, जहां घर  बेटी जन्मे |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

 

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2013 at 5:57pm

जी आपने और बृजेश जी ने सही पकड़ कर ध्यान दिलाया की एक समां कथ्य पर दो कुंडलिया छंद बन गयी है | 

आपका हार्दिक आभार आदरणीय श्री गणेश जी बागी जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2013 at 11:24am

//कथ्य में दोनों कुंडली छंद समान हैं। आधारभूत कथ्य में भिन्नता ही दो कुंडली, दो क्षणिका आदि को साथ में पोस्ट करने का औचित्य सिद्ध करता है।//

बृजेश भाई से सहमत हूँ, मात्रा त्रुटि भी परिलक्षित है | 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2013 at 9:17am

छंद के भाव पसंद कर मान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री विजय निकोरे जी, श्री बृजेश नीरज जी, एवं 

श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर जी | सादर | सही शब्द "पोषण" है टंकण त्रुटी वश पौशन छप गया है, बृजेश जी  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2013 at 9:11am

हार्दिक आभार स्विकार्रे आदरणीया परवीन मलिक जी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 14, 2013 at 12:12am

आदरणीय लड़ीवाला जी ..अच्छी कुण्डलियाँ ..प्यारे और सराहनीय भाव लिए हुए ..काश ये बात हम सब के मन में समा जाए
सुन्दर
भ्रमर ५

Comment by बृजेश नीरज on September 13, 2013 at 12:22pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

कथ्य में दोनों कुंडली छंद समान हैं। आधारभूत कथ्य में भिन्नता ही दो कुंडली, दो क्षणिका आदि को साथ में पोस्ट करने का औचित्य सिद्ध करता है।

इस शब्द का अथ बतलाएं-'पौषन' 

Comment by vijay nikore on September 13, 2013 at 10:46am

कन्या के प्रति बहुत सुन्दर भाव हैं।

ऐसे ही भाव समाज में समाएँ, यह प्रार्थना है।

बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2013 at 9:22am

छंद पसंद कर सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2013 at 9:21am

रविकर बढ़ाय होंसला, रखते सबका मान 

कुण्डलियों में प्रतिक्रिया,सुन्दर सा यह भान |

हार्दिक आभार भाई श्री रविकर जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2013 at 9:16am

भाई श्री अखिलेश श्रीवास्तव जी, सुझाव हेतु हार्दिक आभार 

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