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जो ख़्वाबों में बसा लूँ तो .......(गज़ल) //डॉ० प्राची

१२२२...१२२२ 

नज़र दर पर झुका लूँ तो 

मुहब्बत आज़मा लूँ तो 

तेरी नज़रों में चाहत का 

समन्दर मैं भी पा लूँ तो 

बदल डालूँ मुकद्दर भी 

अगर खतरा उठा लूँ तो 

सियह आरेख हाथों का 

तेरे रंग में छुपा लूँ तो 

तेरी गुम सी हर इक आहट 

जो ख़्वाबों में बसा लूँ तो 

तुम्हारे संग जी लूँ मैं  

अगर कुछ पल चुरा लूँ तो 

न कर मद्धम सी भी हलचल 

मैं साँसों को सम्हालूँ तो 

तुम्हें ये राज क्या कहना 

इसे दिल में छुपा लूँ तो 

मौलिक और अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by shalini rastogi on September 24, 2013 at 11:09pm

बेहद खूबसूरत गज़ल ... 

Comment by Meena Pathak on September 23, 2013 at 7:55pm

आप की रचना पढ़ कर 
निःशब्द हूँ मैं तो ...................आदरणीया प्राची जी सुन्दर गज़ल हेतु बधाई स्वीकारें | सादर 

Comment by Neeraj Neer on September 21, 2013 at 3:55pm

वाह बहुत खूब बेहतरीन..

Comment by Vindu Babu on September 19, 2013 at 10:45pm
आदरणीया प्राची जी गजल,गीत,अतुकान्त आदि सभी विधाओं में आपकी प्रस्तुतियां, आपकी बहुआयामी प्रतिभा का प्रतीक है। आपके उत्साह एवं लगन के सामने समयाभाव एवं शिल्प की क्लिष्टता सभी कुछ गौढ़ता को प्राप्त होते हैं। मुझे विश्वास है शीघ्र ही आप इस विधा पर भी महारत प्राप्त कर लेंगी।
रचना का कथ्य प्रणम्य है।
सादर
शुभम्
सादर
Comment by ram shiromani pathak on September 18, 2013 at 7:46pm

बदल डालूँ मुकद्दर भी 

अगर खतरा उठा लूँ तो //वाह वाह !

 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीया प्राची जी //हार्दिक बधाई आपको //सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 15, 2013 at 1:58pm

आदरणीय सौरभ जी 

गज़ल के कहन पर आपकी प्रोत्साहित करती सराहना के लिए सादर धन्यवाद.

इता दोष मुझे समझ में आ गया है.. मैं इसे दूर करने का प्रयत्न कर रही हूँ.

बाकी छोटी छोटी त्रुटियों पर भी बहुमूल्य मार्गदर्शन मंच पर आप सबसे प्राप्त हुआ है और वीनस जी से भी इस गज़ल की कमियों पर विस्तृत विवेचना ली है.. उनको ध्यान में रखते हुए निश्चय ही सतत अभ्यास से गज़ल लेखन सधता जाएगा..

सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 15, 2013 at 1:44pm

आदरणीया विजयश्री जी 

गज़ल के शब्द भाव आपको पसंद आये ..यह जानना बहुत उत्साहवर्धक है 

प्रोत्साहन के लिए सादर धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 15, 2013 at 1:43pm

सादर धन्यवाद आ० लक्ष्मण जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 15, 2013 at 1:42pm

गज़ल पर आपके प्रोत्साहन और अनुमोदन के लिए धन्यवाद आ० पियूश जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 15, 2013 at 1:41pm

गज़ल के भावों का प्रशंसात्मक अनुमोदन करने के लिए धन्यवाद आ० सावित्री राठौर जी 

कृपया ध्यान दे...

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