For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"इक तो तू  रोज दारू पीकर आता है, रोज समय से पहले भाग जाता है...और जो काम बताओ, उसे पूरा ही नहीं करता...ऐसा कर, कल से काम पे आना बंद कर..समझ !" रामेश्वर ने रोज रोज से तंगाकर गुस्से में कहा..

लखन ने बिना पछतावा किये, वहां से जाते हुए कहा..."अपने को क्या, सरकार इतना सस्ता राशन दे रही है, बच्चे स्कूल में दिन को खा ही आते है, घरवाली मजूरी करती ही है....अपनी बोतल...."

जितेन्द्र ' गीत '

( मौलिक व्  अप्रकाशित )

Views: 829

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 8:30pm

रचना पर आपने बहुत सटीक कहावत कही है, आदरणीय सुरेन्द्र जी, आपका बहुत बहुत आभार, आशीर्वाद बनाये रखिये

सादर!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 15, 2013 at 6:17pm

सरकारी राहत पर अच्छा व्यंग किया है | इसके लिए बधाई | दरअसल सामाजिक चेतना और नैतिक शिक्षा की आवश्यकता 

है, तभी समाज में अपेक्षित सुधार हो सकेगा |  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 15, 2013 at 5:40pm

जो निठल्ले निकम्मे होते हैं वो एक दिन में नहीं बन जाते सरकार राहत दे न दे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता बेवडे को सिर्फ दारु चाहिए परिवार का पेट कैसे भर रहा है उनको कोई सरोकार नहीं ऐसे इंसान हर कदम पर मिल जायेंगे बस लात पदनी चाहिए ऐसे लोगों को मर भी जातें हैं तो परिवार को कर्जबंद और  कर जाते हैं ,बहुत अच्छे मुद्दे पर लिखा है आपने आपकी लघुकथा सम्पूर्ण कथा कह रही है यही इसकी खासियत है बहुत बहुत बधाई जितेन्द्र गीत जी  

Comment by वेदिका on September 15, 2013 at 4:46pm

बहुत बढ़िया व्यंग किया है आपने जितेंद्र गीत जी!

दरअसल ऐसा तो नहीं है की सरकार बिगाड़ रही है| सरकार संवार ही रही है| और बहुत से नौनिहाल सरकार के इस कदम से पोषित हो रहे है, जो बच्चे पहले मजूरी करने जाया करते थे, वे अब स्कूल मे खाना खा कर शोषण से तो मुक्त हुये| मेरे विचार से इसके शीर्षक के लिए और भी समय देना चाहिए था| 

यह कहानी लखन जैसे उन लोगों के लिए है जो एक सड़ी मछली बनकर पूरी राहत व्यवस्था को कलंकित करते हैं| ऐसे कारनामे के खुलासे के लिए विशेष बधाई लीजिये जितेंद्र जी!

लघुकथा मे आपकी महारत दिन पर दिन सुखकर प्रयास के रूप मे देखने को मिल रही है !! :-)

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 15, 2013 at 3:41pm

बहुत खूब जीतेंद्र भाई क्या कहने बहुत बहुत बधाई

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 12:25am

सरकार बिगाड़ रही है या सवांर रही है...यह तो भगवान ही जाने,  सरकार की ऐसी बहुत सी गरीबों के लिए योजनायें चल रही है,

आपको लघु कथा पसंद आयी, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 12:14am

आदरणीय वीनस जी , ऐसा ही हो रहा है, सरकार गरीबों को भूखे पेट न रहना पड़े, शायद इसलिए ऐसी सुबिधा दे रही है, परन्तु  गरीब अपने शौक के लिए, उस सस्ते अनाज को भी, अधिक कीमत में बाजार में बेच आता है,

रचना पर दृष्टी डालने हेतु ,आपका बहुत बहुत आभार

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 15, 2013 at 12:07am

आपका कहना बिलकुल सही है, आदरणीय सौरभ जी,  रचना पर समय देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार,

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 14, 2013 at 11:59pm

जी बिल्कुल सही बतला रहे हैं आप, हुआ तो मोबाईल ही क्या, मोटरसायकिल भी मिल सकती हैं..

लघुकथा आपको अच्छी लगी, लेखनकर्म सार्थक हुआ, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश बागी जी

सादर!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 14, 2013 at 11:58pm

जी जितेन्द्र भाई जी ..अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम ...की अवधारणा वाले ऐसे बड़े लोग मिल जायेंगे निठल्ला तो बन ही जा रहे हैं गुणात्मकता काम काज की शून्य की तरफ ...सुन्दर लघु कथा

भ्रमर ५
प्रतापगढ़

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। सुधीजनो के बेहतरीन सुझाव से गजल बहुत निखर…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा  बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा …"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service