For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारे पास समय नहीं होगा - लघु कथा

अपना टूटा चश्मा विनोद की ओर बढ़ाते हुए जमना लाल जी ने कहा – “बेटा मेरा चश्मा कई दिनों से टूटा है , और ये पर्चा लो दवाइयाँ भी “.............। विनोद झुँझला गया – “ क्या पिता जी रोज रोज खिट खिट करते रहते हो मेरे पास इन सब फालतू कामों के लिए बिलकुल समय नहीं है , मै नौकरी करूँ उसकी टेंशन झेलूँ कि आपकी समस्या देखूँ ।” जमना लाल जी कहते रह गए कि – “ बेटा ............. । ”

पर बेटे ने न सुना न उनकी ओर देखा बस अपनी धुन मे चलता चला गया । आज वे थोड़ी थोड़ी लकड़ियां ला ला  कर इकट्ठी कर रहे थे । बेटा और बहू ने पूछा – “ पिता जी ये सब क्या है ?”

वे बोले – “ मेरी चिता की सामाग्री । मैंने सोचा तुम्हारे पास फालतू कामों के लिए और फालतू लोगों के लिए समय नहीं होगा । “

 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

Views: 957

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by annapurna bajpai on September 26, 2013 at 5:16pm

ऐसा नहीं हो सकता , नियम - नियम ही होते है , लेकिन मजबूरी कुछ भी करा देती है । आदरणीय कुशवाहा जी आपका आभार । 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on September 26, 2013 at 3:46pm

अपने कर्म कांड अपने जीवन काल में करने की अनुमती विधान में हो 

बधाई. 

Comment by annapurna bajpai on September 19, 2013 at 1:40pm

आदरणीया सरिता जी , महिमा श्री जी आपका हार्दिक आभार ।

Comment by MAHIMA SHREE on September 18, 2013 at 11:31pm

बेहद मार्मिक और चिंतनीय प्रस्तुति आदरणीया .. आज ऐसी घटनाएं आम सी बात हो गयी हैं हमारे समाज में बहुत -२ बधाई आपको

Comment by Sarita Bhatia on September 18, 2013 at 11:11pm

सार्थक सन्देश देती लघु कथा ,बधाई अन्नपूर्णा जी 

Comment by annapurna bajpai on September 18, 2013 at 6:13pm

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार ।

Comment by annapurna bajpai on September 18, 2013 at 6:11pm

आदरणीया विजया श्री जी आपका आभार ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 18, 2013 at 5:05pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी 

बुजुर्गों के साथ होते इस तरह के नाज़रंदाजी के व्यवहार को बहुत संवेदनशीलता के साथ अभिव्यक्ति मिली है.  इस मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by vijayashree on September 18, 2013 at 3:07pm

आज के परिवेश में माता पिता की परिस्थितियाँ वास्तव में ही सोचनीय हो गई है 

बहुत कुछ सोचने पर विवश करती इस लघुकथा पर हार्दिक बधाई अन्नपूर्णा बाजपाई जी 

Comment by annapurna bajpai on September 18, 2013 at 1:28pm

आदरणीय विजय निकोर जी आपका हार्दिक आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service