कहकशाँ में उठ रही लहरों की बातें क्या करें
इस गुबारे-गर्द में सहरों की बातें क्या करें
हर कोई पहने मुखौटे फिर रहा है जब यहाँ
फिर बताओ हम भला चेहरों की बातें क्या करें
इस कदर मसरूफ हैं पाने को नाम औ शोहरतें
वक़्त इक पल का नहीं पहरों की बातें क्या करें
तुक मिलाने को समझ बैठा जो शाइर शाईरी
नासमझ से वजन औ बहरों की बातें क्या करें
नफरतें हैं वहशतें हैं दहशतें हैं राह में
हर घडी है गमजदा कहरों की बातें क्या करें
आँख का पानी हवा में उड़ गया है “दीप” तब
बैठ बंजर खेत में नहरों की बातें क्या करें
संदीप पटेल “दीप”
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
हर कोई पहने मुखौटे फिर रहा है जब यहाँ
फिर बताओ हम भला चेहरों की बातें क्या करें
सुंदर पंक्तियाँ बहुत बधाई आपको ।
विराना हो चूका है अब तो ये सारा जहाँ !
हम उजड़े शहरों की बाते क्या करें !
पर्दा नही है जिसको किसी गैर का !
उस शख्स से हम मुलाकाते क्या करें !
मेरी तरफ से एक शेर आपकी गज़ल के लिए ! बहुत ही सुन्दर रचना है ! दिली बधाई आपको
//हर कोई पहने मुखौटे फिर रहा है जब यहाँ
फिर बताओ हम भला चेहरों की बातें क्या करें// बहुत बढ़िया आदरणीय संदीपजी बहुत खूबसुरत शेर हुआ है
आपकी इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिये दाद कुबूल करें
हर कोई पहने मुखौटे फिर रहा है जब यहाँ
फिर बताओ हम भला चेहरों की बातें क्या करें//वाह क्या कहने भाई। बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हार्दिक बधाई आपको
बहुत हि सुन्दर गजल बधाई स्वीकारें सन्दीप जी.....
वाह !!! सन्दीप भी , बेहतरीन गज़ल कही भाई , दिली मुबारक़बाद क़ूबूल हो !!
हर कोई पहने मुखौटे फिर रहा है जब यहाँ
फिर बताओ हम भला चेहरों की बातें क्या करें ------- लाजवाब बात कही !! बधाई
जी ..श्री संदीप कुमार पटेल साहब ..., आदरणीय चंद्रशेखर साहब से सहमत हूँ ..! ये वाकई दमदार है ..
तुक मिलाने को समझ बैठा जो शाइर शाईरी
नासमझ से वजन औ बहरों की बातें क्या करें... खूब :)
तुक मिलाने को समझ बैठा जो शाइर शाईरी
नासमझ से वजन औ बहरों की बातें क्या करें
वाह्ह कमाल की ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद, आदरणीय संदीप जी। यह शेर इस ग़ज़ल का हासिल है। बधाईयां।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online