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सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
लब से सब कुछ कहा नहीं जाता
दर्द कि इन्तहां हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता
देश का हाल जो हुआ है अब
चुप तो मुझसे रहा नहीं जाता
चुन के मारो सभी दरिन्दों को
माफ इनको किया नहीं जाता
वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता
है भला क्या तेरी परेशानी
बावफ़ा जो हुआ नहीं जाता
कैसे वादा निभाऊ जीने का
तेरे बिन अब जिया नहीं जाता
संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत सार्थक और सटीक रचना ... बधाई
आज के माहौल में सटीक है यह गजल , सब कुछ बर्दाश्त के बाहर हो गया है । बधाई आ. संजूजी ।
आदरणीया संजू जी , अच्छी गज़ल कही है , आपको बहुत बधाई !!
दर्द कि इन्तहां हुई यारों
मुझसे अब यूँ सहा नहीं जाता....यह शेर बहुत पसंदीदा हुआ
लाजवाब गजल प्रस्तुति, बधाई स्वीकारें आदरणीया संजू जी
आदरणीया संजू जी ग़ज़ल पर आपका प्रयास बहुत अच्छा है कुछ अशआर बेहद शानदार कहे हैं आपने इस हेतु बधाई स्वीकारें.
वो खता बार- बार करता है
फिर सज़ा क्यूँ दिया नहीं जाता .. आदरणीया यह शेर मुझे अटपटा लगा सजा के साथ जाता कैसे ?
कैसे वादा निभाऊ जीने का
तेरे बिन अब जिया नहीं जाता ...इस शेर के लिए दाद हाज़िर है महोदया ....!..बहुत खूब :)
सुन्दर प्रस्तुति-
आभार आदरणीया-
आदरणीया संजू सिंह, कला पक्ष का मुझे ज्ञान नही, भाव पक्ष वाह गजब मजा आ गया । आपको बहुत बहुत बधाई
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