For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार ,
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार !!१

राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुराण!
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्याण !!२

ज्ञान चक्षु को खोलकर ,ऐसा दीपक बार !
जिससे घटता दंभ तम ,छटते मलिन विचार !!३

श्रद्धानत हो पूजते ,मन में दृढ़ विश्वास !
ऐसे नर के हिय सदा ,शिव शम्भू का वास !!४

सब धर्मों का सार यह ,सुनिये मेरी बात!
फल भी वैसा ही मिले ,जैसी करनी तात !!५

सहज नहीं दिखते कभी,सबको ही भगवान् !
वही मनुज होता सफल ,जिसको जीवन ज्ञान !!६


***************************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 2:46pm

आप से मै सहमत हूँ ,बहुत  बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी ,आपका अनुमोदन पाकर बड़ी प्रसन्नता हुई ///सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 1, 2013 at 8:53pm

बहुत संयत प्रयास की खुश्बू मिल रही है.. वाह ! बधाई..

जब खड़ी हिन्दी के छंद या रचना में आंचलिक शब्द की छौंक लगे तो दोनों शब्दों में दूध-पानी का सम्बन्ध होना प्रतीत हो. ऐसा प्रयास किया जाना चाहिये.

अब अवधी या भोजपुरी में जलाने को जारना या बारना कहते हैं. लेकिन यह शब्द पहेली बन गया भोजपुरी या अवधी से इतर कई सुधीजनों के लिए.

और, महाशय, दीपक को जारा नहीं बारा जाता है.  हिन्दी में इसके लिए बालना शब्द है.

मैं अभी आ पाया हूँ, आपके इस पोस्ट पर, लेकिन टिप्पणियों से ज्ञात हुआ है कि पहले जार  शब्द का प्रयोग हुआ था.  :-))))

छटते = छँटते


भाई अरुन अनन्त ने सार्थक सुझाव दिये हैं,  अतः आपके हिस्से की आधी बधाई अरुन जी को.
शुभेच्छाएँ
 

Comment by ram shiromani pathak on September 30, 2013 at 6:11pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्र  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 30, 2013 at 6:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर  जी //सादर 

Comment by विजय मिश्र on September 30, 2013 at 11:21am
दोहे और उसके भाव दोनों ही तबला और मृदंग की तरह आपस में संगत कर रहे है . अनेक बधाई राम शिरोमणि भाई .
Comment by vijay nikore on September 30, 2013 at 4:53am

दोहे अच्छे बने हैं। हार्दिक बधाई, आदरणीय राम जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2013 at 9:35am

बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज कुमार जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2013 at 9:34am

बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी //सादर 

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:47am

सुन्दर दोहे .. बधाई 

Comment by annapurna bajpai on September 28, 2013 at 12:05am

सुंदर दोहे बधाई आपको आ0 राम शिरोमणि जी । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service