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सत्कर्मों से जो सदा ,खेता है पतवार ,
समझो वो नर हो गया ,भवसागर से पार !!१

राम नाम ही सत्य है ,कहते वेद पुराण!
रमा राम के नाम जो ,उसका ही कल्याण !!२

ज्ञान चक्षु को खोलकर ,ऐसा दीपक बार !
जिससे घटता दंभ तम ,छटते मलिन विचार !!३

श्रद्धानत हो पूजते ,मन में दृढ़ विश्वास !
ऐसे नर के हिय सदा ,शिव शम्भू का वास !!४

सब धर्मों का सार यह ,सुनिये मेरी बात!
फल भी वैसा ही मिले ,जैसी करनी तात !!५

सहज नहीं दिखते कभी,सबको ही भगवान् !
वही मनुज होता सफल ,जिसको जीवन ज्ञान !!६


***************************************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on October 4, 2013 at 2:46pm

आप से मै सहमत हूँ ,बहुत  बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी ,आपका अनुमोदन पाकर बड़ी प्रसन्नता हुई ///सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 1, 2013 at 8:53pm

बहुत संयत प्रयास की खुश्बू मिल रही है.. वाह ! बधाई..

जब खड़ी हिन्दी के छंद या रचना में आंचलिक शब्द की छौंक लगे तो दोनों शब्दों में दूध-पानी का सम्बन्ध होना प्रतीत हो. ऐसा प्रयास किया जाना चाहिये.

अब अवधी या भोजपुरी में जलाने को जारना या बारना कहते हैं. लेकिन यह शब्द पहेली बन गया भोजपुरी या अवधी से इतर कई सुधीजनों के लिए.

और, महाशय, दीपक को जारा नहीं बारा जाता है.  हिन्दी में इसके लिए बालना शब्द है.

मैं अभी आ पाया हूँ, आपके इस पोस्ट पर, लेकिन टिप्पणियों से ज्ञात हुआ है कि पहले जार  शब्द का प्रयोग हुआ था.  :-))))

छटते = छँटते


भाई अरुन अनन्त ने सार्थक सुझाव दिये हैं,  अतः आपके हिस्से की आधी बधाई अरुन जी को.
शुभेच्छाएँ
 

Comment by ram shiromani pathak on September 30, 2013 at 6:11pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्र  जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 30, 2013 at 6:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर  जी //सादर 

Comment by विजय मिश्र on September 30, 2013 at 11:21am
दोहे और उसके भाव दोनों ही तबला और मृदंग की तरह आपस में संगत कर रहे है . अनेक बधाई राम शिरोमणि भाई .
Comment by vijay nikore on September 30, 2013 at 4:53am

दोहे अच्छे बने हैं। हार्दिक बधाई, आदरणीय राम जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2013 at 9:35am

बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज कुमार जी //सादर 

Comment by ram shiromani pathak on September 28, 2013 at 9:34am

बहुत बहुत आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी //सादर 

Comment by Neeraj Neer on September 28, 2013 at 8:47am

सुन्दर दोहे .. बधाई 

Comment by annapurna bajpai on September 28, 2013 at 12:05am

सुंदर दोहे बधाई आपको आ0 राम शिरोमणि जी । 

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