सपने !!!!!!!
सुहाने से
सँजोये थे जो मन के
भीतर आवरणो की परतों मे
सँजोया और सींचा था
नव पल्लव देख
मन झूम उठा था
खुशी के अंकुर भी
फूट पड़े थे
उड़ान की आकांक्षा मे
पंखों को कुछ फड़फड़ा कर
ज्यों हुआ उड़ने को आतुर !!!!
आह !!
पंख कतर दिये किसने ?
धराशायी हुआ
स्वर भी बाधित हुआ
जख्म लगे
अभिलाषी मन
परित्यक्त सा
कुलबुला उठा
अश्रुओं ने साथ छोड़ा
धैर्य ने भी हाथ छोड़ा
वो अकुलाहट !!!!
बरस उठी बरबस
कुछ शांत हुआ अब जाकर मन
सपने !!!!!
कुछ भी न थे शेष
न अभिलाषा थी
दुबारा फिर सँजोने की
श्रेयस्कर था त्यागना ही
पुनः जीवन धारा मे लौट कर
अविरल बहना
पथ पर आगे बढ़ना
सदा ही निरंतर ।..............................
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
आदरणीय अभिनव जी आपका आभार ।
आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय रविकर जी आपका हार्दिक आभार अपना स्नेह बनाए रखें ।
अति सुन्दर रचना बधाई आदरणीया अन्नपुर्णा जी......
:
अभिलाषी मन
परित्यक्त सा
कुलबुला उठा..... बेहद सुलझे हुए भाव ..! अच्छी रचना :)
आदरणीय सुन्दर रचना , सुन्दर अभिव्यक्ति !! जीवन के उतार चढाव के बीच एक साहसिक समझौता !! बहुत बधाई !!
अनमोल सपनों का बेमोल सा ढहता जाना .. और फिर स्वप्न विहीनता को ही बेबस हो स्वीकार कर लेना.. जीवन धारा में ही जीना बिना स्वप्नों के ... उफ्फ ये धज्जी धज्जी उधड़े परों का दर्द. फिर भी मुस्कराहट के मुखौटे सिर्फ अपनों के लिए
हृदय सपर्श करती, संवेदना जो झंकृत करती अभिव्यक्ति..
हार्दिक बधाई
सपने !!!!!!!
सुहाने से
सँजोये थे जो मन के
भीतर आवरणो की परतों मे
सँजोया और सींचा था
नव पल्लव देख
मन झूम उठा था
खुशी के अंकुर भी
फूट पड़े थे
उड़ान की आकांक्षा मे
पंखों को कुछ फड़फड़ा कर
ज्यों हुआ उड़ने को आतुर !!!!
आह !!///////////////////////////////////////वाह बहुत ही अनुपम पंक्तियाँ
आदरणीया अन्नपूर्णा जी हार्दिक बधाई आपको //सादर
पुनः जीवन धारा मे लौट कर
अविरल बहना
पथ पर आगे बढ़ना
सदा ही निरंतर ।.............................. आ. अन्नपूर्णा जी साधुवाद . .. अक्सर विपरीत परिस्थितियों में कठिन होता है पर सार्थक देती सन्देश परक रचना ... हार्दिक शुभकामनायें इस सृजन और प्रस्तुति पर
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