आयशा की हिंचकियाँ अबतक बेतहाशा बढ़ गयी थीं |
(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
सराहना हेतु धन्यवाद आदरणीय जितेंद्र जी, प्रिय शुभ्रांशु भाई को पुनः आभार |
प्रिय शुभ्रांशु भाई, लघुकथा पर आपकी विस्तारित टिप्पणी से कई कई अकहे शब्दों को शब्द मिल गये हैं, सब कुछ देखते हुए भी समाज का एक वर्ग उसे स्वीकार नही करता या यह कहें कि आधुनिकता का चोला ओढ़ आखें बंद कर मक्खी निगल रहा है, यहाँ पर साहित्यकार का यह कर्तव्य बन जाता है कि समाज को अगाह करे, आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धित करती है बहुत बहुत आभार |
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी,लघुकथा पर आपका आशीर्वाद मिला, बहुत ख़ुशी हुई,ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ |
बहुत ही बढ़िया .. आदरणीय बागी जी .. सत्य कथा ... आजकल तो ऐसी घटनाएँ आम हो गयी हैं ....और वार्तालाप में डायलाग भी यही बोले जाते हैं ... बहुत -२ बधाई ..स्वीकार करें
आदरणीय गणेश जी बागी सर, आधुनिक पीढ़ी और मार्डन दिखावे की सत्यता का दूसरा वास्तविक पहलू आपकी इस लधु कथा से उजागर हो रहा है आपको अनेकों बधाईयां ।
राधिका / आयशा
व्यक्तित्व के अनुसार पात्रों का नामकरण लघु कथा लेखक की महीन सोच को इंगित करता है ..
स्पष्ट है कि लेखक अब उन बिंदुओं को भी पकड़ता है जो परोक्ष न हो कर अपरोक्ष रूप से अपना प्रभाव छोड़ते हैं
इस लघु कथा के लिए गणेश भाई को ढेरो बधाई
आधुनिकता का यथार्थ चित्रण आदरणीय गणेश जी //हार्दिक बधाई आपको इस लघुकथा के लिए //सादर
आभासी दुनिया की तड़क भड़क मे युवा वर्ग ऐसा गुम सा हो के रह गया है कि वो सही और गलत की पहचान करनें में असमर्थ है, उपभोक्तावादी मानसिकता के चलते कुछ लोगों की सोच विकृत हो गई है, आपकी लघुकथा की एक पात्र इस बात को समझ जाती है एक नहीं समझ पाती। आदरणीय बागी जी आपकी रचना एक सार्थक संदेश देने में कामयाब रही है, बधाई स्वीकार करें
आजकल के दौर की मानसिकता को बहुत खूबी से उभरा है आपने इस कथा में!
आदरणीय बागी जी आपको इस सशक्त लघु कथा पर हार्दिक बधाई!
सामयिक सामाजिक मुद्दों पर लघु-कथा विधा में आपकी लेखनी बहुत समृद्ध है आदरणीय गणेश जी .
आधुनिकीकरण के मायने आज की युवा पीड़ी समझ नहीं पा रही... गैजेट प्रेम , रहन सहन सोच का भ्रमित हो जाना जिसे वो खुलापन समझते हैं.. युवाओं का तोहफों के प्रति आकर्षण..ये आज ही हकीकत है... इसके अंजाम को दर्शाती संदेशपरक सार्थक लघुकथा
इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें
सादर
हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीय.
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