जंगल भागी शेरनी, ख़बर छपी अखबार।
फौरन फोन घुमाइए, नज़र पड़े जो यार।।
नज़र पड़े जो यार, पड़े हम भी चक्कर में,
कर डाला झट फोन, उसी पल चिड़ियाघर में।
यहाँ शेरनी एक, करे जो मुझसे दंगल,
'उसे' ढूँढने जाय, इसे तब छोड़ो जंगल।
----------------------------------- सुशील जोशी
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
जी हाँ आदरणीय रमेश भाई.... सही कहा...हा..हा...हा.... सादर धन्यवाद...
हा..हा..हा.... आदरणीय गणेश बागी भाई जी.... यह सच है कि काफी दिनों के बाद मेरा यहाँ आना हो रहा है.... लेकिन सच्चाई यही है कि आप सब के बिना रह भी नहीं पाता हूँ.... बस समय एवं कार्य के हाथों विवश हूँ.... फिर भी जब भी समय निकालता है तो कोशिश रहती है कि अपने अग्रजों एवं अनुजों के बीच यहाँ पर आऊँ एवं कुछ सीखूँ.... स्नेहिल टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद...
बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुन भाई... क्या बात है... आपकी टिप्पणी अब पढ़ रहा हूँ और शब्दों का यही फेरबदल मैंने पहले ही कर दिया है... जब आदरणीया राजेश जी की पहली टिप्पणी पढ़ी..... आपको रचना पसंद आई उसके लिए अतिश: धन्यवाद..
हार्दिक धन्यवाद आपका बृजेश जी....
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धऩ्यवाद आदरणीय गिरिराज जी....
आदरणीया राजेश कुमारी जी... वैसे आपका परामर्श मैं अब देख रहा हूँ.... मैंने केवल आपका पहला कमैंट पढ़ते ही गलती सुधार ली थी और उसे पोस्ट भी कर दिया था.... लेकिन आपका परामर्श तो और भी शानदार है.... और शायद सच्चाई भी.... हा...हा...हा.... हा.... अरे मुझे ज्यादा नहीं हँसना चाहिए.... शेरनी ने सुन लिया तो.......
हा...हा.... सही कहा आदरणीया राजेश कुमारी जी.... यहाँ तो रोज ही शेरनी से पंगा लेता हूँ..... हा...हा...हा.... और छंद में गड़बड़ी की ओर ध्यान दिलाने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद..... भूलवश ऐसा हुआ जिसे सुधार लिया गया है....
हास्य की जमीन स्वयं/स्वयं का घर ही होता सो शेरनी घर में हास्य रूप में दहाड रही है । बहुत ही सुंदर हास्य के लिये बधाई
वाह भाई सुशील जी, बहुत दिनों बाद आना हुआ और आते ही सिक्सर,बढ़िया है, बधाई आदरणीय ।
आदरणीय सुशील भाई बेहद सुन्दर हास्यप्रद कुण्डलिया छंद रचा है आपने दिल खुश हो गया भाई जी आदरणीया राजेश जी ने उचित कहा है यहाँ शेरनी एक करने से गेयता ठीक हो जाएगी ऐसा मुझे लगता है. इस सुन्दर हास्यप्रद कुण्डलिया छंद हेतु बधाई प्रेषित है स्वीकार करें.
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