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हुए रुखसत दिले -नादां की ही कुछ सिसकियाँ भी थी
खयालों में वही पहली नज़र की मस्तियाँ भी थीं
लहर तडपी थी हर इक याद पे मचला भी था साहिल
ज़माने की वही रंजिश में डूबी किश्तियाँ भी थीं
बिखरती वो घड़ी बीती न जाने कितनी मुश्किल से
दबी ही थी जो सीने में क़सक की बिजलियाँ भी थीं
कभी कहते थे वो भी उम्र भर यूँ साथ चलने को
चलीं हैं साथ जो अब तक वही गमगीनियाँ भी थीं
भुलाकर यूँ न जी पायेंगे गुजरे वक़्त को हमदम
नहीं भूले हैं जो अब तक, वही बेचैनियाँ भी थीं
अभी तक याद है वो कौन सा लम्हा हुआ कातिल
नज़र खामोश थी औ दिल की कुछ मजबूरियाँ भी थीं
संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित ji
Comment
आदरणीया संजु जी बहुत ही सुंदर गजल रचना के लिए बधाई आपको ।
आदरणीया संजू जी ..एक बिरहनी की व्यथा को उजागर करती इस शानदार ग़ज़ल का ये शेर मुझे बेहद भाया ..अभी तक याद है वो कौन सा लम्हा हुआ कातिल
नज़र खामोश थी औ दिल की कुछ मजबूरियाँ भी थीं,,,,आपको हार्दिक बधाई के साथ
अति सुन्दर ! इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई !
आदरणीया संजू जी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने प्रेम विरह से ह्रदय में उत्पन्न भावों को सुन्दरता से पिरोया है आपने. मुझे भी थीं का प्रयोग खटक रहा है, भी थीं की जगह ही हैं करके पढ़ने में अधिक उचित लग रहा है ऐसा मेरा मानना है. बहरहाल प्रयास अच्छा हुआ है इस हेतु बधाई स्वीकारें.
कभी कहते थे वो भी उम्र भर यूँ साथ चलने को
चलीं हैं साथ जो अब तक वही गमगीनियाँ भी थीं................बहुत सुंदर.
संजू जी सुन्दर ग़ज़ल लिखी है कही कही सुधर की गुंजाइश है
शिज्जू जी की बात से सहमत हूँ
कस्तियाँ या किश्तियाँ ?
ज़माने की वहाँ कर लें अन्यथा वही के साथ किश्तियाँ उचित नहीं
दबी ही थी जो सीने में------मेरे मन में दबी थी जो कसक की बिजलियाँ भी थी ---करके देखें बहर सही आएगी
नज़र खामोश थे औ दिल की कुछ मजबूरियाँ भी थीं ----नज़र खामोश थी फिर दिल की कुछ मजबूरियाँ भी थी ---कर के देखिये
नजर खामोश थे ठीक नहीं
बहरहाल इस ग़ज़ल के लिए बधाई
हुए रुखसत दिले -नादान की कुछ सिसकियाँ भी थी
खयालों में वही पहली नज़र की मस्तियाँ भी थीं
वाह!!! बहुत खूब गज़ल है. आदरणीया बहुत-बहुत बधाई...........
//हुए रुखसत दिले -नादान की कुछ सिसकियाँ भी थी
खयालों में वही पहली नज़र की मस्तियाँ भी थीं//
"दिले -नादान" यहाँ आपने हर्फे इजाफत का प्रयोग किया है इसलिये दिले-नादां होगा न कि दिले-नादान
ग़ज़ल के भाव अच्छे हैं बधाई स्वीकार करें
आदरणीया संजू जी , बहुत अच्छी गजल कही है आपने , बधाई !!!!
वाह आदरणीया संजू जी बहुत बढ़िया
भुलाकर यूँ न जी पायेंगे गुजरे वक़्त को हमदम
नहीं भूले हैं जो अब तक, वही बेचैनियाँ भी थीं
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