माँ !!
नेह ममता
लाड़ दुलार
अविस्मरण रूप
स्नेह की गागर
छलकाती ।
आँखों मे असंख्य
अबूझ स्वप्न
स्नेह सिक्त
जल धारा बरसाती ।
होती ऐसी माँ !!!..................अन्नपूर्णा बाजपेई
अप्रकाशित एवं मौलिक
Comment
माँ को समर्पित सुन्दर कविता! आपको हार्दिक बधाई!
नेह ममता
लाड़ दुलार
अविस्मरण रूप
स्नेह की गागर
छलकाती ।.......बहुत सुंदर,
सच! माँ से बढकर कोई नही, बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा जी
ऐसी ही होती है माँ, सुंदर अभिव्यक्ति.
सुन्दर और सात्विक कविता के लिए बधाई
आदरणीय सुशील जी आपका हार्दिक आभार ।
वाह.... कितनी कम पंक्तियों में माँ के स्वरूप को उजागर कर दिया आपने.... बधाई हो आदरणीया अन्नपूर्णा जी....
आदरणीय अनुराग जी बिलकुल सही कहा अपने माँ तेरे बिन मुझको अब कौन संभाले !!! आपकाहार्दिक आभार ।
माँ है तेरे रूप निराले , फिर आँचल की छाँव में सुलाले! अंधेरो में धकेलती ये दुनिया! तेरे बिना मुझे कौन संभाले ! हार्दिक बधाई !
आ0 मीना जी आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय बागी जी आपका हार्दिक आभार , आपकी टिप्पणी से मन प्रसन्न हो गया ।
सादर
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