ग़ज़ल –
2122 2122 2122 212
सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए,
रोज कोशिश रोशनी की ओर होनी चाहिए |
आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं धरा,
आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए |
हो ग़ज़ल ऐसी कि, जैसे लुत्फ़ की परतें खुलें,
शाइरी गन्ने की मीठी पोर होनी चाहिए |
इश्क का जज़्बा इबादत से बड़ा हो जाएगा,
शर्त ये है आशिकी पुरजोर होनी चाहिए |
ज्ञान गीता का भले काम आएगा संग्राम में ,
कृष्ण की नज़रें मगर चितचोर होनी चाहिए |
तोड़ सकता है अदब सौ मुश्किलों के भी कवच,
हर कलम पैनी नुकीली ठोर होनी चाहिए |
कोई पश्चाताप की बातें करे तो देखना ,
आँख में उसकी ढलकती लोर होनी चाहिए |
जबकि आँखें बंद होने को हों मेरे रूबरू,
माँ तेरे आँचल की स्वर्णिम कोर होनी चाहिए |
देखना जब भी तो उसकी सीरतों को देखना,
ये न हो सूरत ही उसकी गोर होनी चाहिए |
* सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Comment
आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं धरा,
आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए |......बहुत खूब
देखना जब भी तो उसकी सीरतों को देखना,
ये न हो सूरत ही उसकी गोर होनी चाहिए |.....वाह!ये हुई न बात.
आदरणीय अभिनव जी बहुत बढ़िया गजल हुई है । बधाई आपको । हर अशर कबीले तारीफ है ।
आदरणीय अभिनव जी, आपकी गज़लें गुनगुनाने का सुख बयान नहीं कर सकता हूँ. हर अश'आर सीधे मन में अंदर तक उतर जाता है. हृदय से बधाइयाँ.............
आदरणीय गीतिका 'वेदिका' जी , प्रेरक उदगार व्यक्त करने के लिए आभारी हूँ आपका , आपको पुस्तक प्रकाशन पर हार्दिक बधाई और सफलता की शुभकामनायें आदरणीया !!
श्री अरुन शर्मा 'अनन्त' जी आपको रचना पसंद आई बहुत ख़ुशी हुई ,स्नेह मिलता रहे यही कामना है !! आभार आपका !!
परम श्रद्धेय श्री Kapoor साहब आपे आशीर्वाद का सदा अकांक्षी रहता हूँ ..नमन वंदन आपका , सादर !!
श्री SANDEEP KUMAR PATEL जी हार्दिक धन्यवाद ग़ज़ल आपको पसंद आई कहना सार्थक हुआ !
एक सशक्त कवयित्री के शुभाषीष बहुत मायने रखते हैं आदरणीया MAHIMA SHREE जी । बहुत शुक्रिया आपका !
डॉ. अनुराग सैनी जी आपको अश'आर भाये कहना सफल हुआ आदरणीय , ह्रदय से नमन करता हूँ !
अद्भुत गज़ल हुयी, हर भाव से भरी!!
कोई पश्चाताप की बातें करे तो देखना ,
आँख में उसकी ढलकती लोर होनी चाहिए |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online