For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - दोपहरी में छाँव लिखूं

ग़ज़ल –


2222  2112

दोपहरी में छाँव लिखूं ,
जब भी अपना गाँव लिखूं |

जन्नत की जब बात चले ,
अपनी माँ के पांव लिखूं |

पांचाली की पीर बढ़ी ,
दुर्योधन के दांव लिखूं |

दिल दिल्ली से टूटा है,
खुल के अब डुमरांव लिखूं |

सड़कों पर विश्राम नहीं ,
पगडण्डी की ठांव लिखूं |

 

 

* सर्वथा मौलिक और अप्रकाशित ।

Views: 902

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2013 at 11:31pm

सरल शब्दों से गहन बात करना इसे ही कहते हैं ..  दिल से बधाई लें, भाईजी.

वाह वाह !

मिसारों का वज़्न 2 2 2 2 2 2 2 लिखना था.  फेलुन फेलुन ... फा... के अनुसार वो भी सही होगा.

शुभ-शुभ

Comment by Abhinav Arun on October 8, 2013 at 9:50am

आ. श्री कपीश जी रचना पढने , पसंद , करने और विचार प्रकट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आपका !!

Comment by Abhinav Arun on October 8, 2013 at 9:49am

आदरणीय श्री अखिलेश जी क्या कहने दिल खुश हुआ आदरणीय , इस दाद के लिए सौ सौ आभार ह्रदय से :-) !!

Comment by Abhinav Arun on October 8, 2013 at 9:48am

आ.डॉ प्राची मैडम , ग़ज़ल पसंद आई शुक्रगुज़ार हूँ आपका , धन्यवाद बहुत बहुत !!

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 7, 2013 at 8:39pm

    बहुत ही सुन्दर छंद लिखी है आपने । " जन्नत की जब बात चले , अपनी माँ के पाँव लिखूं । " इस पंक्ति पर विशेष बधाई स्वीकारें आदरणीय अभिनव अरुण जी । 
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 7, 2013 at 8:17pm

कम शब्दों में ज्यादा कहना कोई आप से सीखे । हार्दिक बधाई आत्मीय  अभिनव अरुण जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 7, 2013 at 8:03pm

आ० अभिनव अरुण जी 

बहुत सुन्दर अशआर कहे है..

जन्नत की जब बात चले ,
अपनी माँ के पांव लिखूं |.....वाह !

हार्दिक बधाई 

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 3:48pm

बहुत आभार आदरणीय कुंती जी , आशीर्वाद के लिए शुक्रिया नमन वंदन !!

Comment by coontee mukerji on October 7, 2013 at 3:26pm

एक एक लाइन चीख रही है ...अरून जी...द्रौपदी की तरह.

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:50am

परम आदरणीय श्री arun kumar nigam  जी यह आपका अनुराग है ..आपका आशीर्वाद पा धन्य हुआ , सौभाग्य मेरा , आभार !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
9 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service