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काश ! कोई साथी होता।
एक अच्छा-सा साथी होता।।
खुशियों में जो साथ निभाता,
दुःख में भी नहीं घबराता।
घिरे होते दुःख में हम,
वो बाँटता हमारे ग़म।
दूर करता दर्द सारे,
आँसू पोंछता हमारे।
होता उसका हमें सहारा,
होता वो एक हमारा।
ऐसा एक साथी होता।
काश ! कोई साथी होता।
ज़िन्दगी की राहें सुनसान,
ख़तरों से हम अनजान।
जब रास्ता जाते भटक,
मुश्किलों में जाते अटक।
थाम लेता हाथ हमारा,
देता फिर हमें सहारा।
भटकने से हमें बचाता,
एक नयी राह दिखाता।
ऐसा एक हमराही होता।
काश ! कोई साथी होता।
एक अच्छा-सा साथी होता।।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

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Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:30pm

आभार गीतिका जी !

Comment by Savitri Rathore on October 7, 2013 at 7:29pm

धन्यवाद सुशील जी!

Comment by coontee mukerji on October 7, 2013 at 3:11pm

बहुत सुंदर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 7, 2013 at 1:00am

खूबसूरत ख्वाहिश, बधाई..........

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 10:55pm

आदरणीया ऐसे ही साथी की चाहत सभी की होती है बहुत ही सुन्दर ख्वाहिश, अच्छी प्रस्तुति बधाई स्वीकारें

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 6, 2013 at 8:15pm

सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई हो आपको

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 6, 2013 at 4:03pm

सुन्दर रचना बनी है ! बधाई आपको !

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 3:40pm
आदरणीया सावित्री जी , एक सच्चे  साथी से जो वाजिब  अपेक्षाएं  होनी चाहिए इसका वर्णन आपने बहुत अच्छा किया है । बहुत-बहुत बधाई । 
    

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 6, 2013 at 3:25pm

आदरणीया सावित्री जी , सुन्दर प्रस्तुति !!! एक वाजिब मांग !! रचना के लिये बधाई !!

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 2:22pm

हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनायें साहित्यिक उन्नयन के लिए आदरणीय सावित्री जी 

कृपया ध्यान दे...

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