For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - वो तो खूने हिजाब पीता है - पूनम शुक्ला

2122. 1212. 22

कब वो खाली शराब पीता है
हुस्ने ताजा शबाब पीता है

कैसे खिलती वहाँ कली अबतर
वो तो खूने हिजाब पीता है

इतनी भोली खला कि क्या जाने
फिर वो अर्के गुलाब पीता है

ऐसी तदबीर जानता है वो
दिल में उठते हुबाब पीता है

जाने तसतीर भी नहीं उसकी
तब भी सारे खिताब पीता है

ऐसी तौक़ीर दूरतक जानिब
सबकी खाली किताब पीता है

पीना फितरत बना लिया उसने
बैठे ही लाजवाब पीता है

हिजाब - लज्जा
हुबाब - बुलबुला
अबतर - तितर बितर
खला - अन्धकारमय शून्य
तदबीर - उपाय
तसतीर - लेखन
तौक़ीर - प्रतिष्ठा

पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 480

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 17, 2013 at 9:00pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आ० पूनम शुक्ला जी

 जाने तसतीर भी नहीं उसकी
तब भी सारे खिताब पीता है........ये शेर बहुत पसंद आया 

हार्दिक शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 6:23pm

वाह ! बहुत सुन्दर प्रयास के लिए बधाई..

Comment by बृजेश नीरज on October 15, 2013 at 2:16pm

वाह! बहुत सुन्दर! संशोधन के बाद लाजवाब हो गयी है ये ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 15, 2013 at 9:59am

ऐसी तदबीर जानता है वो
दिल में उठते हुबाब पीता है----ये शेर बहुत पसंद आया 

बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने आदरणीय वीनस जी की बात से सहमत हूँ ,और हाँ मकते के सानी में सुधार की गुंजाइश है 

फिलहाल दाद कबूलें 

Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 5:01am

बहुत ही उम्दा भावों का संप्रेषण है आदरणीया पूनम जी..... बधाई हो....

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 14, 2013 at 9:44pm

बधाई पूनमजी, बहुत सुंदर एवं  अच्छे  स्तर की गज़ल कही आपने ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 14, 2013 at 9:18pm

आदरणीया पूनम जी ..वाकई शानदार ग़ज़ल ..मैंने तो जी भर के गुनगुनाया ..उर्दू के इतने बेहतरीन शब्दों की बेहतरी अंदाज में प्रयोग ..काफी कुछ सीखने को मिला ..आदरणीय वीनस जी की प्रतिक्रिया से भी ज्ञान में इजाफा हुआ ..उन्हें भी धन्यवाद ..आपको सदर बधाई के साथ 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 14, 2013 at 12:50pm

आदरणीया ग़ज़ल पर उम्दा प्रयास हुआ है आदरणीय वीनस भाई जी की बातों पर गौर फरमाएं काफी कुछ सरल हो जायेगा.

Comment by वीनस केसरी on October 14, 2013 at 1:29am

वो तो खाली शराब पीता है
हुस्ने ताजी शबाब पीता है

हुस्ने ताज़ी को हुस्ने ताज़ा कीजिये ...
जब ताज़ा शब्द भी पीता है तो पहले मिसरे में कही बात .. खाली शराब की बात कट जा रही है 

इसे ऐसे किया जा सकता है

कब वो खाली शराब पीता है
हुस्ने ताज़ा शबाब पीता है

बाकी ग़ज़ल दुरुस्त है ,,,
हाँ एक जरूरी बात ... आपने जो मात्रा लिखी है वो गलत है .. सही अरकान ये है = २१२२ / १२१२ / २२

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service