For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रावण मरता नहीं। …… नवगीत

प्रतिवर्ष
पुतले  जल जाते  है
पर ,
रावण मरता नहीं


पाप- पुण्य की गठरी खोले
तोते है कितने वाचाल
अंधी श्रद्धा का यहाँ ,पर
फैल रहा है मकडजाल
नोट , करारे चढाने से
राहु
चाल बदलता नहीं .


सूट - बूट पहन कर रावण
गली गली मंडराते है
गर मिल जाये तितली ,कोई
पंख भी कतरे जाते है
भयग्रस्त हो गयी वसुधा
पर 
पाषाण पिघलता नहीं.


उजले पर वाले बगुले ,यहाँ
माही को भी  भरमाते है
मौका मिलते ही ,हाथों से
निवाला ,छीन ले जाते है
उजले वस्त्र पहन कर
कभी
राम कोई बनता नहीं .

प्रतिवर्ष
पुतले जल  जाते है
पर
रावण मरता नहीं। …. !

---- शशि पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on October 18, 2013 at 1:41pm
सूट - बूट पहन कर रावण

गली गली मंडराते है

गर मिल जाये तितली ,कोई

पंख भी कतरे जाते है

भयग्रस्त हो गयी वसुधा

पर 

पाषाण पिघलता नहीं............बात सच है.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 17, 2013 at 9:50pm
उजले वस्त्र पहन कर
कभी
राम कोई बनता नहीं .
प्रतिवर्ष 
पुतले जल  जाते है
पर रावण मरता नहीं। …. सुन्दर वाचारिक मंथन का गीत | हार्दिक बधाई 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 7:49pm

सामयिक गीत के लिए बधाई शशिजी.

शुभ-शुभ

Comment by Abhinav Arun on October 17, 2013 at 5:47am
उजले पर वाले बगुले ,यहाँ
माही को भी  भरमाते है
मौका मिलते ही ,हाथों से
निवाला ,छीन ले जाते है.....सुन्दर सामयिक सशक्त रचना , आ. शशि जी हार्दिक बधाई और शुबकामनाएं !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 17, 2013 at 12:09am

आदरणीया शशि पुरवार जी, कटाक्ष करती हुई गम्भीर रचना हेतु बधाई....................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 16, 2013 at 6:17pm
///उजले पर वाले बगुले ,यहाँ
माही को भी  भरमाते है
मौका मिलते ही ,हाथों से
निवाला ,छीन ले जाते है
उजले वस्त्र पहन कर
कभी
राम कोई बनता नहीं .

प्रतिवर्ष 
पुतले जल  जाते है
पर
रावण मरता नहीं। /// वाह क्या बात है आदरणीया शशि जी बेहतरीन, दाद कुबूल करें 
Comment by shashi purwar on October 16, 2013 at 4:56pm

सुशिल जी , महिमा जी , ब्रजेश जी , अरुण जी , गणेश जी , जीतेन्द्र जी आप सभी का बहुत बहुत आभार।  

Comment by बृजेश नीरज on October 16, 2013 at 1:45pm

बहुत ही सुन्दर गीत! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 16, 2013 at 1:17pm

आदरणीया शशि जी बेहतरीन वर्तमान परिस्थिति पर सुन्दर कटाक्ष समसामयिक प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकारें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 16, 2013 at 11:27am

बहुत ही सुन्दर और सामयिक रचना हुई है, लक्ष्मण रेखा और उसकी गरिमा को पहचाने जाने की आवश्यकता आज भी है, बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
8 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
9 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
21 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
39 minutes ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
12 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service