For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


माँ तुम हो
शक्तिस्वरूपा
मेरी भक्ति का संसार
माँ से ही प्रारंभ
यह जीवन
माँ ही उर्जा का संचार
नीड बनाने में कितनी
खो  गयी थी  माँ
उड़ गए
पंछी घोसलों से
फिर तन्हा हो गयी है माँ
-- शशि पुरवार

-----------------------
१६ / ९ /१३

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 661

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashi purwar on October 15, 2013 at 11:23pm

arun ji , anupama ji , saurabh ji abhut bahut dhanyavad


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2013 at 10:41pm

बेहद प्रभावोत्पादक क्षणिकाएँ हैं, आदरणीया.

हार्दिक बधाइयाँ ..

Comment by annapurna bajpai on October 6, 2013 at 11:37pm

आदरणीया शशि जी बहुत ही सुंदर क्षणिकाएं । बधाई आपको । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 2:48pm

आदरणीया शशि जी वाह अत्यंत सुन्दर क्षणिकाएं, दोनों ही क्षणिकाएं एक दूसरे के विपरीत हैं द्वतीय क्षणिका का भाव मर्मस्पर्शी है. इन सुन्दर क्षणिकाओं हेतु दिल से बधाई स्वीकारें.

Comment by shashi purwar on October 6, 2013 at 1:18pm

नमस्कार  मित्रो

आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद  , आप सभी की सुन्दर प्रतिक्रिया ने मन को उर्ज्व्सित कर कलम को ताकत प्रदान की है आभार

Comment by Ravi Prabhakar on October 6, 2013 at 12:34pm

आदरणीय शशि जी,
सादर प्रणाम ।
आपकी दूसरी क्षणिका बेहद यथार्थ बयां करती है। माँ (बाप) केवल यह समझते है कि केवल भौतिक सुख ही औलाद के लिए जरूरी है और वे उसकी पूर्ति की उधेड़बुन में ही लगे रहते हैं और इन सब में वे अपनी औलाद से ही दूर हो जाते है। आज के भौतिकवादी युग पर आपकी क्षणिका बेहद बड़े सधे शब्दों में कटाक्ष करती है और सोचने पर मजबूर करती है । दिल से आपको बधाई देता हूं स्वीकार करें।

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 10:15am

दोनों क्षणिकाएं अत्यंत प्रभावी हुई है आदरणीया हार्दिक बधाई आपको , सुन्दर भावपूर्ण सृजन !!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2013 at 10:07am

आदरणीया शशि जी, दोनों क्षणिकाएं अच्छी हुई हैं , दूसरी क्षणिका तो बहुत ही सान्द्र और हृदयस्पर्शी हुई है, बधाई प्रेषित है । 

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 6, 2013 at 9:27am

     आदरणीया शशि पुरुवार जी.आपकी क्षणिकाएं बहुत अच्छी लगी । विशेषकर दूसरी आजकल के दौर में अभिभावकों की नियति का सही चित्रण है। बहुत बहुत बधाई । 
Comment by रविकर on October 6, 2013 at 8:50am

शुभकामनायें आदरेया-
सुन्दर क्षणिकाएं-

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई प्रदत्त विषय पर बढ़िया गीत रचना हुई , हार्दिक बधाइयां "
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अशोक भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
27 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध हो जाता है तब आवश्यक शांति संदेश जब निरर्थक हों.......सत्य कहा है आपने.   आदरणीय…"
31 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"ये झगड़े फिर बढ़ेंगे ध्यान रखना सुलह तो जंग से भी पुर ख़तर है....वाह ! वाह ! आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी…"
37 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शान्ति और युद्ध   कारण और अकारण कितने, युद्धों से इतिहास भरा है। वीरों के खोने का दिल…"
57 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण भाई आभार आपका "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील भाई .                      …"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई गिरिराज जी, जबरदस्त कहन है। हार्दिक बधाई"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ भाई , सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय अजय भाई प्रदत्त विषय पर आपकी सारगर्भित नज़्म के लिए आपको हार्दिक बधाइयां "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"//कोशिश रहेगी सरना की रचनाएँ कम से कम मंच पर पोस्ट हों //    नहीं, आदरणीय. रचनाओं…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी  आपकी किसी बात से इंकरा नहीं । कोशिश रहेगी सरना की रचनाएँ कम से कम मंच…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service