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बहुत सुंदर शब्द चयन, मन की वेदना को उकेरती अनुपम रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय रवि जी
आदरणीय रवि प्रकाश जी, कविता में शब्द चयन और प्रवाह देखते ही बन रहा है, वेदना मुखरित हुई, बधाइयाँ...........
जब शिव स्वरूप हो गये, तो राख क्या शृंगार क्या.. !!
इन पंक्तियों के माध्यम से आपकी इस उत्कृष्ट पंचचामर छंद रचना को साधुवाद कह रहा हूँ.
वेदनाएँ यदि अभिव्यक्त हुईं तो अति क्लिष्ट वातावरण का निर्माण करती हैं. रचनाकर्म जिस मनोदशा से आप्लावित है वह सकारात्मकता का कारण प्रसूत करे, अपेक्षा है. और सुखद है कि यही हो रहा है.
शुभ-शुभ
वाह.... बेहद सुंदर एवं प्रवाहमयी गीत....... सुंदर कामना करती हुई इस रचना के लिए हार्दिक बधाई हो आपको.....
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