For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिला नज़र से नज़र, सब्र आज़माते रहे,

1212 1122 1212 22  .... अंतिम रुक्न ११२ भी पढ़ा गया है ..
.

नज़र, नज़र से मिला, सब्र आज़माते रहे,
मेरे रक़ीब मुझे देख, तिलमिलाते रहे.  

घटाएँ, रात, हवा, आँधियाँ करें साज़िश,
मगर चिराग़ ये बेखौफ़ जगमगाते रहे.
.

गुनाह, जुर्म, सज़ा, माफ़ आपकी कर दी,
ये कह दिया तो बड़ी देर सकपकाते रहे.
.

खफ़ा खफ़ा से रहे बज़्म में सभी मुझसे,
वो पीठ पीछे मेरे शेर गुनगुनाते रहे.  
.

मिला हमें न सुकूँ दफ्न कब्र में होकर,
किसी की ज़ुल्फ़ अदा, अश्क़ याद आते रहे. 
.

फ़रेब झूठ सरीखे, बना लिए साथी,
इबादतों में ख़ुदा को मगर भुलाते रहे.
.

पुकारता है किसे ‘नूर’ इस जहाँ में अब,
कि कश्तियाँ, तेरे साहिल ही ख़ुद डुबाते रहे.  
..........................................................
निलेश 'नूर'
मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 788

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 25, 2013 at 8:01am

शुक्रिया शुशील जी 

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 8:11pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति है आ0 नीलेश जी....

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 24, 2013 at 9:08am

शुक्रिया आशुतोष जी, कुंती जी ...आभार  

Comment by coontee mukerji on October 23, 2013 at 2:14pm

बहुत सुंदर गज‌ल.दाद कूबूल करें.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 9:43am

आदरणीय इस सुंदर ग़ज़ल के हर अशार ने मुझे प्रभाबित किया बिशेष रूप से इस शेर के लिए तहे दिल बढ़ाई कबूले खफ़ा खफ़ा से रहे बज़्म में सभी मुझसे,
वो पीठ पीछे मेरे शेर गुनगुनाते रहे.  ...जीवन की एक हकीकत है ..सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 23, 2013 at 9:16am

धन्यवाद आदरणीय वीनस केसरी जी,
आप ने एक नया नज़रिया दिया है, जिसका मै भविष्य में अनुपालन करने का प्रयत्न करता रहूँगा ... इससे मुझे शब्द समायोजन में बहुत लाभ होगा .. धन्यवाद   

Comment by वीनस केसरी on October 23, 2013 at 1:06am

नज़र, नज़र में मेरा सब्र आज़माते रहे,......

मगर चिराग़ मेरे थे कि जगमगाते रहे. .......

खफ़ा खफ़ा से रहे अंजुमन में सब मुझसे....

हमें सुकूँ न मिला ....

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 22, 2013 at 11:20pm

धन्यवाद केवल जी, संदीप जी ... आभार

 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 22, 2013 at 8:09pm

आदरणीय नीलेश भार्इ जी! क्या बात है! बेहतरीन गजल.......बहुत खूब। हार्दिक बधार्इ स्वीकार करे। सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 22, 2013 at 7:16pm

वाह वाह साहब

एक के बाद एक नगीने

क्या बात है

इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिली दाद हाजिर है

जय हो

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service