For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो ( गीत ) गिरिराज भंडारी

       क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

 

गर्मी में तुम चन्द्र किरण हो

और शीत में ताप अगन हो

मेरा जीवन थामा  जिसने

तुम मेरा वो प्राण- पवन हो 

       मुझमे जीती तुम ममता हो

       क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

तुम मेरा जीवन सम्बल हो

बाहर अन्दर तुम ही बल हो

तुम अतीत हो वर्तमान हो

आने वाला तुम ही कल हो

     तुम ही मेरा अता पता हो

     क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

 

दिवा स्वप्न मेरे जीवन का

तुम उत्तर हो हर कारण का

जोड़ जिसे निर्माता खुश है

हम दोनों का वो बंधन हो

           मुझको धेरी एक लता हो

           क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

मै नदिया तुम आर  पार हो

बीच भँवर मै तुम किनार हो

मै जीता  हूँ सभी  भाव  में

तुम केवल मधु भाव प्यार हो

         तुम ही  मेरी प्रियंवदा हो

         क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

 


*******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 906

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 22, 2013 at 8:12pm

आदरणीय केवल भाई , गीत के अनुमोदन के लिये और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 22, 2013 at 8:09pm

आदरणीय सन्दीप भाई . गीत मे उत्साह वर्धन प्रतिक्रिया कर उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 22, 2013 at 8:08pm

आदरणीय अभिनव अरुण भाई , गीत को मान देने और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!!!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 22, 2013 at 7:03pm

आदरणीय भण्डारी भार्इ जी! सादर प्रणाम! --//दिवा स्वप्न मेरे जीवन का
तुम उत्तर हो हर कारण का.....//   बहुत ही सौम्य सुन्दर गीत। तहेदिल से दाद कुबूल करे। सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 22, 2013 at 7:01pm

वाह वाह आदरणीय इस लाजवाब गीत के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें

जय हो

Comment by Abhinav Arun on October 22, 2013 at 2:40pm

आ.गिरिराज भंडारी जी मोहक मधुर मनोहर रचना ...हार्दिक बधाई
!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 22, 2013 at 2:04pm

आदरणीय राणा प्रताप सर , आपकी प्रतिक्रिया सर्व प्रथम देख कर आनन्द हुआ !!! आपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका दिल से आभारी हूँ !!! आपकी सलाह सर माथे पर !!! एक एक लाइन जोड़्ने का प्रयास किया हूँ  !!! रचना संसोधन के लिये भेज रहा हूँ !!! आपका पुनः आभार !!! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 22, 2013 at 11:58am

आदरणीय गिरिराज जी बहुत ही सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है| मुखड़े की पंक्ति से तुक रखने वाली एक एक पंक्ति यदि हर बंद में जोड़ दिया जाये तो गीत, गीत की कसौटी पर खरा भी उतरेगा और आनंद में भी बढ़ोत्तरी हो जाएगी|

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service