For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! नित धर्म सुग्रन्थ रचे तप से !!!

!!! नित धर्म सुग्रन्थ रचे तप से !!!
दुर्मिल सवैया - (आठ सगण-112)

तन श्वेत सुवस्त्र सजे संवरें, शिख केश सुगंध सुतैल लसे।
कटि भाल सुचन्दन लेप रहे, रज केसर मस्तक भान हसे।।
हर कर्म कुकर्म करे निश में, दिन में अबला पर ज्ञान कसे।
नित धर्म सुग्रन्थ रचे तप से, मन से अति नीच सुयोग डसे।।

के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 912

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 10, 2013 at 11:38am

आ0 नारायण भाई जी, सादर प्रणाम! जी आपने बिलकुल सही कहा है।  वास्तव में अभी इसे और मांजना है।  आपको धन्यवाद सहित आभार। सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 8, 2013 at 10:16am

Antim pankti ka purv se tartamya banane mein kuch adhik prayas apechit tha jo ap kar sakte the. Chand rachna mein jaldi compromise na karein . is akavita  ke yug mein  varnik chand ki racna ka prayas shalaghneeya  ha .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 6:10pm

आ0  विजय सर जी,   सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by vijay nikore on November 3, 2013 at 3:05pm

सुन्दर छंद के लिए बधाई,आदरणीय केवल जी।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 29, 2013 at 11:06am

आ0 प्रदीप भार्इ जी,  सर जी का प्रश्न था.....डसे...डंसे व हसे....हंसे.....शायद अब आपके समझ में आया हो। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Pradeep Kumar Shukla on October 28, 2013 at 4:25pm

waah ... bahut sundar chhand ... badhai ... Saurabh Pandey ji ne prashn kiya hai wahi mera bhi hai

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 25, 2013 at 8:18pm

आ0 सुशील भार्इ जी,  छन्द पर विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन करने हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 25, 2013 at 8:18pm

आ0 गीतिका  जी,  छन्द पर विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन करने हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Sushil.Joshi on October 24, 2013 at 8:36pm

वाह वाह.... बहुत ही सुंदर प्रहार किया है आ0 केवल भाई जी...... बधाई हो इस सवैया हेतु......

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 24, 2013 at 9:07am

आ0 जितेन्द्र भार्इ जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service