कोमल काया फूल सी, अति मनमोहक रूप ।
तेरे आगे चाँद भी, लगता मुझे कुरूप ।।
भोलापन अरु सादगी, नैना निश्छल झील ।
जो तेरा दीदार हो, धड़कन हो गतिशील ।।
गेसू लगते आपके, ज्यों रेशम की डोर ।
बिखरें काली रात हो, सुलझें होती भोर ।।
अधर पाँखुरी पुष्प से, कोमल गाल गुलाब ।
तुमको पाकर हो गया, पूरा दिल का ख्वाब ।।
ज्यों झूमर से घर सजा, त्यों झुमकें से कान ।
आभूषण ही लाज का, नारी का सम्मान ।।
खन खन खनके चूड़ियाँ, हरी गुलाबी लाल ।
मेरी हर इक चाह का, रखतीं सदा खयाल ।।
छम छम छम पायल बजे, लूटे चैन करार ।
ईश्वर से इतनी दुआ, अमिट रहे यह प्यार ।।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय अरुण भाई , नारी रूप की सुन्दरता बयाँ करती आपके सभी दोहे लाजवाब हैं , बहुत बधाई !!!!
छम छम पायल बजे, लूटे चैन करार । ----------- प्रथम पद मे मात्रा 11 होरहा है , एक बार छम और जोड़ दें तो सही होजायेगा !!!!!!
कंचन काया फूल सी, अति मनमोहक रूप ।
तेरे आगे चाँद भी, लगता हमें कुरूप ।।
भोलापन अरु सादगी, नैना निश्छल झील ।
जो तेरा दीदार हो, धड़कन हो गतिशील ।।
अरुण जी ....कंचन काया फूल सी....इस लाइन में क्या विरोधाभास बात कह दी आपने कंचन काया भी है और फूल भी है यानि कि कठोर के साथ नरम भी .....खैर आपके दोहे ह्रदय को छूने वाले हैं ...बहुत बहुत बधाई आपको
कंचन काया फूल सी, अति मनमोहक रूप ।
तेरे आगे चाँद भी, लगता हमें कुरूप ।।वाह भाई
"हमें" की जगह यदि "मुझे" कर दिया जाय तो ???
बहुत ही सुन्दर व् मनमोहक दोहे रचे है अपने आदरणीय भाई अरुण जी //हार्दिक बधाई आपको //सादर
सौंदर्य का सुंदर वर्णन बधाई अरुन भाई ।
छम छम पायल बजे /// छम छम बजे पायलिया ........ सादर ।
आदरणीय शर्माजी बडे ही मनमोहक दोहे रचे है आपने बधाई
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