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इक शख़्स इस हयात का नक़्शा बदल गया

इक शख़्स इस हयात का नक़्शा बदल गया।

दिल के चमन का रंगो बू सारा बदल गया॥

सोचा था अब न प्यार करेगा किसी से दिल,

उससे मिला तो सारा इरादा बदल गया॥

महफिल में हो रही थी उसी की ही गुफ़्तगू,

देखा उसे तो सबका ही चेहरा बदल गया॥

जबसे उसे सहारा किसी और का मिला,

उस दिन से बातचीत का लहज़ा बदल गया॥

अब रात दिन ख़यालों में ख़्वाबों में है वही,

अंदाज़ मेरे जीने का सारा बदल गया॥

आए गए हज़ार मगर कुछ नहीं हुआ,

इक वो चला गया तो ज़माना बदल गया॥

जिसको समझ रहे थे कि बदलेगा न कभी,

पहचानता नहीं है अब ऐसा बदल गया॥

हमराज़ हमसफ़र भी थे मंज़िल भी एक थी,

आया इक ऐसा मोड़ कि रस्ता बदल गया॥

“सूरज” किसी से प्यार अगर मांगना पड़े,

समझो वहीं पे प्यार का रिश्ता बदल गया॥

डॉ॰ सूर्या बाली “सूरज”

( मौलिक और अप्रकाशित )

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 25, 2013 at 3:55pm

//इक शख़्स इस हयात का नक़्शा बदल गया।

दिल के चमन का रंगो बू सारा बदल गया॥

सोचा था अब न प्यार करेगा किसी से दिल,

उससे मिला तो सारा इरादा बदल गया॥// वाह बहुत खूब आदरणीय डॉ बाली सर खूबसूरत अशआर हैं दिली दाद कुबूल करें

//जबसे मिला सहारा किसी और का उसे,

उस दिन से बातचीत का लहज़ा बदल गया

कुछ भी असर हुआ नहीं आए गए हज़ार,

इक वो चला गया तो ज़माना बदल गया// लाजवाब

पूरी ग़ज़ल के लिये दाद कुबूल करें,आपकी ग़ज़ल का हमेशा बेसब्री से इंतजार रहता है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2013 at 2:00pm

आदरणीय सूर्य बाली भाई , लाजवाब कज़ल कही  है , ढेरों दाद कुबूल करें !!!!!

“सूरज” किसी से प्यार अगर मांगना पड़े,

समझो वहीं पे प्यार का रिश्ता बदल गया॥ --------------वाह वा !!!!!!!

Comment by Saarthi Baidyanath on October 25, 2013 at 1:40pm

सोचा था अब न प्यार करेगा किसी से दिल,

उससे मिला तो सारा इरादा बदल गया॥.....गज़ब ...असरदार !..शकील साहिब की बातें मुनासिब लग रही हैं ..बाकी ग़ज़ल ..वाह ! :)

आते रहिये बज़्म में और गुनगुनाते रहिये साहिब .....

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on October 25, 2013 at 1:33pm

जबसे मिला सहारा किसी और का उसे,

उस दिन से बातचीत का लहज़ा बदल गया॥

कुछ भी असर हुआ नहीं आए गए हज़ार,

इक वो चला गया तो ज़माना बदल गया॥

शकील भाई शायद अब आपकी शिकायत दूर हो गयी होगी और एडमिन महोदय से निवेदन है की शेर नंबर 4 और 6 को उपरोक्त दो शेरों से बदल दें। 

धन्यवाद 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on October 25, 2013 at 12:39pm

जी शकील भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ। दोनों शेरों में टकबूले रदीफ़ है जो  उल मिसरे मे आ के आने से हो रही है...इसे दुरुस्त कर दी जाएगी। ध्यान दिलाने के पुनः आपका आभार। 

Comment by शकील समर on October 25, 2013 at 12:24pm

आदरणीय डॉ. सूर्या बाली "सूरज" सर
मैंने पहली बार इस मंच पर आपको पढ़ा। काफी खुशी हो रही है।

सोचा था अब न प्यार करेगा किसी से दिल,
उससे मिला तो सारा इरादा बदल गया॥

उनके जलवे को मेरा भी सलाम, जिनसे मिलकर आपका इरादा बदल गया। :P

एक जिज्ञासा है सर। तकाबुले रदीफ के बारे में मैंने जो पढ़ा है उस आधार पर यह दोष शेअर संख्या 4 और 6 में नजर आ रहा है। क्या वाकई ऐसा है? थोड़ी रहनुमाई कर दीजिए।

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