जलाऊं दीपक कैसे
कुल बीते दिन चार ,चमन का खोया माली
रोते पुहुप हजार ,कहाँ कैसी दीवाली
व्यथित उत्तराखंड ,तबाही कैसे भूले
आँसू मिश्रित आग ,जलेंगे कैसे चूल्हे
बिना तेल के दीप ,जलेगी कैसे बाती
बिना राग संगीत ,मुरलिया कैसे गाती
मृत्यु नृत्य निर्बाध ,जहाँ खेली थी होली
सने लहू से द्वार ,कहाँ बैठे रंगोली
कुदरत ने दी मार ,धरा अम्बर तक रूठे
रह-रह उठते टीस ,मिले जो जख्म अनूठे
औरों का दुख देख , मनाऊं खुशियाँ कैसे
बगल घर अन्धकार , जलाऊं दीपक कैसे
खुशियों के हों रंग ,भरे उनकी भी झोली
चौखट जाए सूख ,सजे उस पर रंगोली
मिल जाएं परिवार ,बढ़े उनकी खुशहाली
भरो प्रेम से जख्म , मनाओ फिर दीवाली
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
प्रिय महिमा जी आपको प्रस्तुति छू सकी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका.
शिज्जू शकूर जी आपका ह्रदय तल से आभार.
रमेश कुमार चौहान जी आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभारी हूँ.
आदरणीय विजय मिश्र जी दिल से आभारी हूँ ,आपकी प्रतिक्रिया से मेरे लेखन को सार्थकता मिली
आदरणीय गिरिराज जी बहुत- बहुत शुक्रिया रचना के मर्म को दिल से महसूस किया,आप सच कह रहे हैं इस बार उत्तराखंड में दिवाली का कोई उत्साह नहीं है और जिनके घरों के दीप बुझ गए हैं उनका हाल क्या होगा सभी सोच सकते हैं.सादर आभार
जय हो, जय हो, आपकी सदा जय हो । बेहतरीन प्रस्तुति । एक-एक पंक्ति असरदार, जानदार, बारबार । बहुत बधाई इस सशक्त प्रस्तुति पर, सादर
आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत ही अच्छी प्रस्तुति है//// बहुत बहुत बधाई आपको //// सादर
क्या ही सुंदर भाव है , मन द्रवित हो उठा , निशब्द हूँ क्या लिखूँ , बहुत बधाई आपको आ0 राजेश कुमारी जी ।
बहुत ही मार्मिक रचना आदरणीया
इस यथार्थपरक रचना हेतु बहुत बहुत बधाई हो
मार्मिक और यथार्थपरक रचना के लिए आपको बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online