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जलाऊं दीपक कैसे

कुल बीते दिन चार ,चमन का खोया माली

रोते पुहुप हजार ,कहाँ कैसी दीवाली

व्यथित उत्तराखंड ,तबाही कैसे भूले

आँसू मिश्रित आग ,जलेंगे कैसे चूल्हे

बिना तेल के दीप ,जलेगी कैसे बाती

बिना राग संगीत ,मुरलिया कैसे गाती

मृत्यु नृत्य निर्बाध ,जहाँ खेली थी  होली

सने लहू से द्वार ,कहाँ बैठे रंगोली

कुदरत ने दी मार ,धरा अम्बर तक रूठे

रह-रह उठते टीस ,मिले जो जख्म अनूठे

औरों का दुख देख , मनाऊं खुशियाँ  कैसे

बगल घर अन्धकार , जलाऊं दीपक  कैसे 

खुशियों के हों रंग ,भरे उनकी भी झोली

 चौखट जाए सूख   ,सजे उस पर  रंगोली

मिल जाएं परिवार ,बढ़े उनकी खुशहाली 

भरो प्रेम से जख्म , मनाओ फिर  दीवाली

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 8:58am

प्रिय महिमा जी आपको प्रस्तुति छू सकी मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 8:56am

शिज्जू शकूर जी आपका ह्रदय तल से आभार. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 8:55am

रमेश कुमार चौहान जी आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु दिल से आभारी हूँ. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 8:54am

आदरणीय विजय मिश्र जी दिल से आभारी हूँ ,आपकी प्रतिक्रिया से मेरे लेखन को सार्थकता मिली 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 8:52am

आदरणीय गिरिराज जी बहुत- बहुत शुक्रिया रचना के मर्म को दिल से महसूस किया,आप सच कह रहे हैं इस बार उत्तराखंड में दिवाली का कोई उत्साह नहीं है और जिनके घरों के दीप बुझ गए हैं उनका हाल क्या होगा सभी सोच सकते हैं.सादर आभार    

Comment by राजेश 'मृदु' on October 31, 2013 at 2:43pm

जय हो, जय हो, आपकी सदा जय हो । बेहतरीन प्रस्‍तुति । एक-एक पंक्ति असरदार, जानदार, बारबार । बहुत बधाई इस सशक्‍त प्रस्‍तुति पर, सादर

Comment by ram shiromani pathak on October 30, 2013 at 8:30pm

आदरणीया राजेश कुमारी  जी बहुत ही अच्छी  प्रस्तुति  है//// बहुत बहुत   बधाई आपको //// सादर 

Comment by annapurna bajpai on October 30, 2013 at 6:33pm

 क्या ही सुंदर भाव है , मन द्रवित हो उठा , निशब्द हूँ क्या लिखूँ , बहुत बधाई आपको आ0 राजेश कुमारी जी । 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 30, 2013 at 3:53pm

बहुत ही मार्मिक रचना आदरणीया 

इस यथार्थपरक रचना हेतु बहुत बहुत बधाई हो 

Comment by vijay nikore on October 30, 2013 at 12:57pm

 

मार्मिक और यथार्थपरक रचना के लिए आपको बधाई।

 

 

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