पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
मौलिक / अप्रकाशित
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
Comment
-शुभकामनायें आदरणीय arun kumar nigam
शुभकामनायें आदरणीय रमेश कुमार चौहान
आदरणीय रविकरजी दीपावली की हार्दिक शुभकामना । कई दिनो पश्चात आपकी रचना पढने का सौभग्य प्राप्त हुआ । आपके सभी छंद मुझे अनुकरणीय लगते है । प्रस्तुत कुण्डलिय के बधाई सह नमन
पाई हमने पाव भर, खा ई लेकर चाव
मित्र मिठाई के बढ़े , दीवाली में भाव
दीवाली में भाव , पावली कहाँ चलेगी
खारा जल बाजार,दाल अब नहीं गलेगी
डालर है बलवान ,सम्हालो रूपया भाई
अब तो केवल स्वप्न,बन गए आना-पाई ||
शुभ दीपावली.............
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