For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उतर रही लक्ष्मी घर आँगन

उतर रही लक्ष्मी घर आंगन

सावन भादो बरस गये
हर्षित हुई अवनी.
नृत्य कर रही है वह खेतों में
धानी चुनरी पहन.

मिली किसानों को फ़सलों का सौगात
बीत गये अंधकार भरे दिन.
गा रही है हर सुबह
उषा, मृदु स्वर में असावरी.
उल्लसित है सब का मन.

कर पितरों को जल तर्पण
भगवती को सुगंधित अर्ध्य अर्पण
तुलसी बीरवा तले दीप जला
त्यौहारों का है मौसम
सखी! सतरंगी परिधान पहन

चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.

अलक्ष्मी ड्योढ़ी से दूर जावे
बुरी दृष्टि से बचे देश हमारे
द्वार-द्वार दीपमालिका सजा
संध्या का हाथ थामे सखी
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन.
मैलिक व अप्रकाशित

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 11:22pm

बहुत प्रभावशाली कविता अभिव्यक्ति हुयी है|

//चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन// एक एक पंक्ति मे त्योहार की भावभीनी गंध महक रही है| 

सादर वंदन सहित आपको शुभकामनायें प्रेषित है!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2013 at 11:11pm

आदरणीया कुन्ती जी. आप पर बहुमुखी दायित्व है अब.

व्याकरण दोष से रचनाओं को हर संभव बचायें. सौगात  को लेकर कह रहा हूँ. या बीरवा में हुआ अक्षरी दोष. 

रचना पूर्ववत प्रभावशाली है. बधाई.. .

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 11:40am

बेहद सुंदर एवं प्रभावशाली अभिव्यक्ति है आ0 कुंती जी....

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 7:00pm

आदरणीय कुंती जी, सुन्दर रचना और दीपावली की हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 10:02am

बहुत सुन्दर चित्र खींचा है आपने! आपको हार्दिक बधाई!

इसे मात्रा में यदि बाँधा जाता तो सुन्दरता और बाद जाती.

सादर!

Comment by ram shiromani pathak on November 5, 2013 at 9:27am

बहुत ही  सुन्दर  प्रस्तुति आदरणीया कुन्ती जी  आपको बहुत बहुत बधाई …सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 8:35am

सखी! सतरंगी परिधान पहन

चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.

 

अति सुंदर भाव, दीप पर्व पर आपने, एक एक रश्मों का बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुतीकरण किया, हार्दिक बधाई व् दीपोत्सव की मंगल शुभकामनायें आदरणीया कुंती जी

Comment by coontee mukerji on November 4, 2013 at 1:39pm

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं दिवाली की शुभकामनाएँ.

सादर

कुंती

Comment by Meena Pathak on November 3, 2013 at 4:58pm

संध्या का हाथ थामे सखी 
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन........ बहुत सुन्दर , बधाई स्वीकारें | शुभ दीपावली | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 1:58pm

अल्पना सम विहँसती ,रचना मधुरतम दीप-सी 

गर्भ  में  मु क्ता छुपाये, वाह  अनुप म सीप-सी 

शुभ दीपावली....................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service