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उतर रही लक्ष्मी घर आँगन

उतर रही लक्ष्मी घर आंगन

सावन भादो बरस गये
हर्षित हुई अवनी.
नृत्य कर रही है वह खेतों में
धानी चुनरी पहन.

मिली किसानों को फ़सलों का सौगात
बीत गये अंधकार भरे दिन.
गा रही है हर सुबह
उषा, मृदु स्वर में असावरी.
उल्लसित है सब का मन.

कर पितरों को जल तर्पण
भगवती को सुगंधित अर्ध्य अर्पण
तुलसी बीरवा तले दीप जला
त्यौहारों का है मौसम
सखी! सतरंगी परिधान पहन

चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.

अलक्ष्मी ड्योढ़ी से दूर जावे
बुरी दृष्टि से बचे देश हमारे
द्वार-द्वार दीपमालिका सजा
संध्या का हाथ थामे सखी
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन.
मैलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 11:22pm

बहुत प्रभावशाली कविता अभिव्यक्ति हुयी है|

//चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन// एक एक पंक्ति मे त्योहार की भावभीनी गंध महक रही है| 

सादर वंदन सहित आपको शुभकामनायें प्रेषित है!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2013 at 11:11pm

आदरणीया कुन्ती जी. आप पर बहुमुखी दायित्व है अब.

व्याकरण दोष से रचनाओं को हर संभव बचायें. सौगात  को लेकर कह रहा हूँ. या बीरवा में हुआ अक्षरी दोष. 

रचना पूर्ववत प्रभावशाली है. बधाई.. .

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 11:40am

बेहद सुंदर एवं प्रभावशाली अभिव्यक्ति है आ0 कुंती जी....

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 7:00pm

आदरणीय कुंती जी, सुन्दर रचना और दीपावली की हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 10:02am

बहुत सुन्दर चित्र खींचा है आपने! आपको हार्दिक बधाई!

इसे मात्रा में यदि बाँधा जाता तो सुन्दरता और बाद जाती.

सादर!

Comment by ram shiromani pathak on November 5, 2013 at 9:27am

बहुत ही  सुन्दर  प्रस्तुति आदरणीया कुन्ती जी  आपको बहुत बहुत बधाई …सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 8:35am

सखी! सतरंगी परिधान पहन

चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.

 

अति सुंदर भाव, दीप पर्व पर आपने, एक एक रश्मों का बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुतीकरण किया, हार्दिक बधाई व् दीपोत्सव की मंगल शुभकामनायें आदरणीया कुंती जी

Comment by coontee mukerji on November 4, 2013 at 1:39pm

आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं दिवाली की शुभकामनाएँ.

सादर

कुंती

Comment by Meena Pathak on November 3, 2013 at 4:58pm

संध्या का हाथ थामे सखी 
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन........ बहुत सुन्दर , बधाई स्वीकारें | शुभ दीपावली | सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 1:58pm

अल्पना सम विहँसती ,रचना मधुरतम दीप-सी 

गर्भ  में  मु क्ता छुपाये, वाह  अनुप म सीप-सी 

शुभ दीपावली....................

कृपया ध्यान दे...

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