उतर रही लक्ष्मी घर आंगन
सावन भादो बरस गये
हर्षित हुई अवनी.
नृत्य कर रही है वह खेतों में
धानी चुनरी पहन.
मिली किसानों को फ़सलों का सौगात
बीत गये अंधकार भरे दिन.
गा रही है हर सुबह
उषा, मृदु स्वर में असावरी.
उल्लसित है सब का मन.
कर पितरों को जल तर्पण
भगवती को सुगंधित अर्ध्य अर्पण
तुलसी बीरवा तले दीप जला
त्यौहारों का है मौसम
सखी! सतरंगी परिधान पहन
चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.
अलक्ष्मी ड्योढ़ी से दूर जावे
बुरी दृष्टि से बचे देश हमारे
द्वार-द्वार दीपमालिका सजा
संध्या का हाथ थामे सखी
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन.
मैलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत प्रभावशाली कविता अभिव्यक्ति हुयी है|
//चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन// एक एक पंक्ति मे त्योहार की भावभीनी गंध महक रही है|
सादर वंदन सहित आपको शुभकामनायें प्रेषित है!!
आदरणीया कुन्ती जी. आप पर बहुमुखी दायित्व है अब.
व्याकरण दोष से रचनाओं को हर संभव बचायें. सौगात को लेकर कह रहा हूँ. या बीरवा में हुआ अक्षरी दोष.
रचना पूर्ववत प्रभावशाली है. बधाई.. .
बेहद सुंदर एवं प्रभावशाली अभिव्यक्ति है आ0 कुंती जी....
आदरणीय कुंती जी, सुन्दर रचना और दीपावली की हार्दिक बधाई आपको !
बहुत सुन्दर चित्र खींचा है आपने! आपको हार्दिक बधाई!
इसे मात्रा में यदि बाँधा जाता तो सुन्दरता और बाद जाती.
सादर!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया कुन्ती जी आपको बहुत बहुत बधाई …सादर
सखी! सतरंगी परिधान पहन
चल हाट! मोल ले चूड़ियाँ
सिंदूर टिकुली मेहेंदी महावर
और बिन भूले सुहाग बिंदियाँ
क्वार-कातिक की बात निराली
सखी! रहे हम सदा सुहागन.
अति सुंदर भाव, दीप पर्व पर आपने, एक एक रश्मों का बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुतीकरण किया, हार्दिक बधाई व् दीपोत्सव की मंगल शुभकामनायें आदरणीया कुंती जी
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद एवं दिवाली की शुभकामनाएँ.
सादर
कुंती
संध्या का हाथ थामे सखी
उतर रही आकाश से लक्ष्मी हर घर आँगन........ बहुत सुन्दर , बधाई स्वीकारें | शुभ दीपावली | सादर
अल्पना सम विहँसती ,रचना मधुरतम दीप-सी
गर्भ में मु क्ता छुपाये, वाह अनुप म सीप-सी
शुभ दीपावली....................
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