For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज्योतिपर्व की रात में ,करो तिमिर का नाश!

सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!

शांतिदीप घर घर जले ,समय तभी अनुकूल !
आपस में सौहार्द हो,कटुता जाओ भूल !!

ज्योतिपर्व की रात में ,तुम्हे समर्पित तात !
जीवन यूँ जगमग रहे ,दीपों की सौगात!!

मन में शुभ संकल्प लो,हाँथो में ले दीप !
अंतस का कल्मष छटे ,मन का आँगन लीप !!

मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !!

ज्योतिपर्व फिर आ गया ,लेकर शुभ सन्देश !
अँधियारा न दिखे कहीं ,फूले फले स्वदेश !!

जगमग करता ही रहे ,यह प्यारा संसार !
अँधियारे को त्यागकर ,भरो ज्योति भण्डार !!
***********************************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 956

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 6, 2013 at 7:35pm

प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

आपके लेखन में आती परिपक्वता आनंददायी है... बहुत बहुत बधाई इस कथ्य भाव समृद्ध सुन्दर दोहावली के लिए 

एक बात अपनी समझ भर सांझा करना चाहती हूँ...

प्रस्तुतियां यदि उपदेशात्मक की जगह आचरणात्मक रूप में प्रस्तुत हों तो ज्यादा प्रभावशाली होती हैं..

यथा, 

ज्योतिपर्व की रात में ,करो तिमिर का नाश!

सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!

ज्योतिपर्व की रात में ,करें तिमिर का नाश!

सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!

मन में शुभ संकल्प लो,हाँथो में ले दीप !                                   मन में शुभ संकल्प लें 
अंतस का कल्मष छटे ,मन का आँगन लीप !!

मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !!               पहनाएं कुछ इस तरह 

शायद सहमत हों!!

इस उन्नत प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें 

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 5:04pm

वाह! बहुत ही सुन्दर दोहे! जय हो! आपको हार्दिक बधाई!

//सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!// मुझे लगता है कि इसे यदि यूँ कहें- 'सच ही जीतेगा सदा, ऐसा हो विश्वास' तो अधिक उपयुक्त होगा. ये मेरी सोच है. आप अन्यथा न लें!

सादर!

Comment by ram shiromani pathak on November 6, 2013 at 2:12pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी ।सदर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 6, 2013 at 2:03pm

अनुज राम बहुत ही सुन्दर उत्तम दोहावली रची है आपने भाई आनंद आ गया पढ़कर हृदयतल से बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on November 5, 2013 at 9:57am

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र  जी। सादर 

Comment by ram shiromani pathak on November 5, 2013 at 9:51am

बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण जी। सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 9:49am

आदरणीय राम भाई, सुंदर संदेशप्रद दोहावली पर बहुत बहुत बधाई व् दीपावली की मंगल शुभकामनायें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2013 at 9:36am

सुन्दर दोहों के लिए बधाई और दीपावली की शुभकामनाए स्वीकारे श्री राम शिरोमणि पाठक जी |

तुम्हे समर्पित तात - पूर्णः देखे 

Comment by ram shiromani pathak on November 4, 2013 at 10:01pm

बहुत बहुत आभार भाई नीरज मिश्रा जी  ।सादर  

Comment by Neeraj Nishchal on November 4, 2013 at 9:23pm

बहुत ही उत्कृष्ट रचनाये आदरणीय पाठक जी

मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !!

बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service