ज्योतिपर्व की रात में ,करो तिमिर का नाश!
सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!
शांतिदीप घर घर जले ,समय तभी अनुकूल !
आपस में सौहार्द हो,कटुता जाओ भूल !!
ज्योतिपर्व की रात में ,तुम्हे समर्पित तात !
जीवन यूँ जगमग रहे ,दीपों की सौगात!!
मन में शुभ संकल्प लो,हाँथो में ले दीप !
अंतस का कल्मष छटे ,मन का आँगन लीप !!
मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !!
ज्योतिपर्व फिर आ गया ,लेकर शुभ सन्देश !
अँधियारा न दिखे कहीं ,फूले फले स्वदेश !!
जगमग करता ही रहे ,यह प्यारा संसार !
अँधियारे को त्यागकर ,भरो ज्योति भण्डार !!
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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी
आपके लेखन में आती परिपक्वता आनंददायी है... बहुत बहुत बधाई इस कथ्य भाव समृद्ध सुन्दर दोहावली के लिए
एक बात अपनी समझ भर सांझा करना चाहती हूँ...
प्रस्तुतियां यदि उपदेशात्मक की जगह आचरणात्मक रूप में प्रस्तुत हों तो ज्यादा प्रभावशाली होती हैं..
यथा,
ज्योतिपर्व की रात में ,करो तिमिर का नाश!
सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!
ज्योतिपर्व की रात में ,करें तिमिर का नाश!
सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!
मन में शुभ संकल्प लो,हाँथो में ले दीप ! मन में शुभ संकल्प लें
अंतस का कल्मष छटे ,मन का आँगन लीप !!
मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !! पहनाएं कुछ इस तरह
शायद सहमत हों!!
इस उन्नत प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें
वाह! बहुत ही सुन्दर दोहे! जय हो! आपको हार्दिक बधाई!
//सच ही जीता है सदा ,ऐसा हो विश्वास !!// मुझे लगता है कि इसे यदि यूँ कहें- 'सच ही जीतेगा सदा, ऐसा हो विश्वास' तो अधिक उपयुक्त होगा. ये मेरी सोच है. आप अन्यथा न लें!
सादर!
बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी ।सदर
अनुज राम बहुत ही सुन्दर उत्तम दोहावली रची है आपने भाई आनंद आ गया पढ़कर हृदयतल से बधाई स्वीकारें.
बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई जीतेन्द्र जी। सादर
बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण जी। सादर
आदरणीय राम भाई, सुंदर संदेशप्रद दोहावली पर बहुत बहुत बधाई व् दीपावली की मंगल शुभकामनायें
सुन्दर दोहों के लिए बधाई और दीपावली की शुभकामनाए स्वीकारे श्री राम शिरोमणि पाठक जी |
तुम्हे समर्पित तात - पूर्णः देखे
बहुत बहुत आभार भाई नीरज मिश्रा जी ।सादर
बहुत ही उत्कृष्ट रचनाये आदरणीय पाठक जी
मन का अँधियारा छटे,कटे दम्भ का जाल !
पहनाओ कुछ इस तरह ,दीपों की इक माल !!
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई
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