For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१-डर

भयातुर आँखें
शक की नज़रों से देखती सबको
विसंगतियों और क्रूरताओं से भरा यह समाज
कब क्या कर बैठे किसे पता


२-सत्य

जीवन एक तहखाना है
हम सब कैदी
जो ईश्वर से प्यार नहीं करता
वह बार बार यहाँ पटक दिया जाता है
और जो ईश्वर से प्यार करता है
वह हमेसा के लिए मुक्त हो जाता है

३-रहस्य

ये कैसा रहस्य है
सारी उन्मनता.
सारी व्यग्रता
सारी म्लानता
तुम्हारे नेह की तरलता में
घुल जाती है

४-पता है

पता है न
दर्पण सच बताता है
जब असत्य का दर्पण टूटेगा
खुद का विकृत चेहरा
क्या?देख पाओगे

५- माँ

जब मै छोटा था
आप ही कहती थी
मरने के बाद लोग तारे बन जाते है
रात भर जागता हूँ
उदास तारों के बीच
खोजता रहता हूँ
एक हँसते तारे को
शायद!
किसी एक तारे में
मेरी माँ हँसती हुई दिख जायॆ

*********************************

राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 8, 2013 at 11:12pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया  प्राची  जी। सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 8, 2013 at 4:02pm

बहुत सुन्दर क्षणिकाएं प्रस्तुत की हैं प्रिय राम शिरोमणि जी 

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by ram shiromani pathak on November 7, 2013 at 11:11pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी,आपका आशीर्वाद मिलना ही मेरे  लिए  बहुत बड़ा उपहार है…सदैव प्रयासरत रहूँगा ।सादर   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2013 at 11:01pm

अतुकान्त क्षणिकाओं के लिए बधाई भाई राम शिरोमणिजी. आप जिस तरह से सतत प्रयास कर रहे हैं वह आपकी लगन का परिचाय है. आपक यह प्रयास दीर्घकालिक हो.

शुभ-शुभ

Comment by ram shiromani pathak on November 7, 2013 at 10:14pm

many many thanks to you respected gopal narain ji....

Comment by ram shiromani pathak on November 7, 2013 at 10:13pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय भाई सत्यनारायण जी …सादर 

Comment by Satyanarayan Singh on November 7, 2013 at 5:37pm

आ. रामशिरोमणि जी सभी क्षणिकाएं सुन्दर और भाव से पूर्ण है. हार्दिक बधाई.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2013 at 4:18pm

Deepak Ji

I really enjoyed your sentiments.

Comment by ram shiromani pathak on November 6, 2013 at 10:25pm

बहुत  बहुत  आभार आदरणीय  गिरिराज  जी  ।सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 6, 2013 at 9:00pm

आदरणीय सभी क्षणिकायें सुन्दर बन पड़ी है !!! आपको बधाई !!!!

पता है न
दर्पण सच बताता है
जब असत्य का दर्पण टूटेगा
खुद का विकृत चेहरा
क्या?देख पाओगे -----------------इस क्षणिका के लिये  विशेष दाद कुबूल करें !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service