For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सवैया(मत्तगयन्द )

चाल बड़ी मनमोहक लागत, खेलत खात फिरै इतरावै !

लाल कपोल लगे उसके अरु ,होंठ कली जइसे मुसकावै !!

भाग रहा नवनीत लिये जब, मात पुकारत पास बुलावै !

नेह भरे अपने कर से फिर ,लाल दुलारत जात खिलावै !!

****************************************************** 

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 825

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2013 at 6:19pm

इस अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आपका भाई अरुण शर्मा   जी ..... सादर  

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2013 at 6:18pm

बहुत  बहुत  आभार आपका आदरणीय सौरभ  जी .............आगे से ध्यान रखूँगा। .. सादर  

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 13, 2013 at 1:18pm

अनुज राम सवैया पर बहुत ही सुन्दर प्रयास किया है आपने अग्रजों के कहे पर ध्यान दें. प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 13, 2013 at 1:03pm

//मुझे ऐसी  कोई  समस्या  नहीं है//

तो प्रशस्ति गान पर अपनी स्वीकृति के स्थान पर यथोचित कार्य कीजिये.  किसी रचना पर मिले सुझाव या संशोधन का फिर क्या अर्थ होता है ? 

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2013 at 1:03am

इस अमूल्य सुझाव  के  लिए  बहुत  बहुत  आभार आपका आदरणीय सौरभ  जी ...

////लेकिन हमारे रचनाकार लगता है अभी कई पाठकों की वाहवाही से उपजी मुग्धावस्था से अपना उत्साहवर्द्धन कर रहे हैं. अमूल्य सुझावों पर बाद में सोचेंगे.///आदरणीय सौरभ  जी  मुझे ऐसी  कोई  समस्या  नहीं है ,,,,,,,//सादर 

Comment by ram shiromani pathak on November 13, 2013 at 12:56am

इस अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आपका भाई सुशील  जी ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 12, 2013 at 10:00pm

आदरणीय सुशील जी, आदरणीय अरुण जी के संदर्भ से आपका कहना सही है. इस प्रस्तुति पर सुझाव पहले भी आ चुके हैं. लेकिन हमारे रचनाकार लगता है अभी कई पाठकों की वाहवाही से उपजी मुग्धावस्था से अपना उत्साहवर्द्धन कर रहे हैं. अमूल्य सुझावों पर बाद में सोचेंगे.

भाईजी, यह परिपाटी ओबीओ पर भी बेतुके घर करती जा रही है कि रचना पर बस वाहवाह कर दिया जा रहा है. और हम रचनाकार अपने उत्सहवर्द्धन के लिए आभारी होते चले जाते हैं. मेरा ऐसा कहना तनिक कटु लग रहा होगा लेकिन यह मंच सीखने-समझने वालों के कार्यशाला के माहौल के लिए माना-जाना जाता है. और, सर्वोपरि, ऐसा नहीं कि हम सभी अच्छी और संयत रचनाओं पर दिल खोल कर वाहवाह नहीं करते.

सादर

Comment by Sushil.Joshi on November 12, 2013 at 9:18pm

बहुत ही सुंदर सवैया है आ0 राम भाई..... हार्दिक बधाई........ लेकिन आ0 अरुन जी के सुझावों पर ध्यान देने की आवश्यकता है......

Comment by ram shiromani pathak on November 12, 2013 at 9:10am

इस अमूल्य सुझाव के लिए  बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुण निगम  जी  .... सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 12, 2013 at 9:01am

सुन्दर सवैया के लिए बधाई.सुन्दर दृश्य खींचा है. भांती जरा खटक रहा है.होंठ के साथ मुसकाती को भी एक बार देख लें...........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service