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लघुकथा : बलात्कार (गणेश जी बागी)

"इंस्पेक्टर प्लीज़ लॉज माय एफ आई आर",  आधुनिक परिधान पहने खूबसूरत युवती गॉगल्स को सर पर चढ़ाते हुए रौबदार आवाज़ मे बोली  | 
"मैडम कृपया बैठिए और आराम से बताइए कि आख़िर बात क्या हुई" 
"इंस्पेक्टर, उसने मेरा रेप किया है, मैं उसके खिलाफ केस दर्ज करवाने आई हूँ"
"कब कैसे और कहाँ हुआ यह सब, कृपया विस्तार से बताएँ",   इंस्पेक्टर ने युवती से पूछा | 
"इंस्पेक्टर, यह दो महीने पहले की बात है, जब हम दोनो अकेले दुबई टूर पर गये थे "
"तो एफ आई आर दो महीने बाद क्यों ?"
"वो कमीना दूसरी लड़की के साथ कल सिंगापुर टूर पर...."

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा :मतिमूढ़

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Comment by AjAy Kumar Bohat on November 25, 2013 at 10:51pm

waah kamaal :)


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 10:21pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय नीरज कुमार नीर जी, स्नेह बना रहे । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 10:20pm

आदरणीय सौरभ भईया जी, लघुकथा के मानक विन्दुओं की कसौटी पर इस कृति को परखने और उसके पश्चात समीक्षात्मक टिप्प्णी पढ़ अत्यंत ही प्रसन्नता हुई, भविष्य में भी प्रयास होगा कि मेरी प्रस्तुतियां आपकी उम्मीदों पर खरा उतर सके, बहुत बहुत आभार आदरणीय । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 10:16pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी । 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 10:59pm

आधुनिकता का एक बदरंग मुखौटा, युवाओं के परस्पर संबंधों की सतहीयता, महिलाओं के सशक्तिकरण संरक्षण के लिए बने क़ानूनों का तोड़ मरोड़ कर दुरुपयोग...इन सभी महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को मुखरता से प्रस्तुत करती..शिल्प पर बहुत कसी हुई सार्थक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश जी  

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 18, 2013 at 11:01am

ऐसे हालातों में I.P.C. की कौन सी धारा लागु की जाये ३७६ या  सिंगापूर न ले जाये जाने पर जलन की कोई धारा, देश के संविधान के सामने प्रश्न-चिन्ह खड़े करती है आपकी लघुकथा, बधाई स्वीकारें आदरणीय गणेश जी 

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 11:48pm

 आदरणीय गणेश जी ,इस सुन्दर लघुकथा हेतु हृदयतल से ढेरों बधाई स्वीकारें....सादर  

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 17, 2013 at 10:56pm

लघुकथा के महारथी का एक और शाहकार। बधाई हो बागी जी।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 17, 2013 at 9:47pm

लघुकथा कहना कोई आपसे सीखे!… बहुत सुन्दर!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 1:48pm

आदरणीय भ्राताश्री जी जय हो आपकी लघुकथाएं ह्रदय पर अपना छाप छोड़ जाती हैं जिस कसावट के साथ आप लघुकथा प्रस्तुत करते हैं. आप शब्दकोष खाली कर देते हैं कुछ भी कहने के लिए नहीं रह जाता. इस सुन्दर लघुकथा हेतु हृदयतल से ढेरों बधाई स्वीकारें.

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