For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटी..रजनी ! तुम्हारे मामाजी के लड़के से, तुम्हारी ननद याने अपनी गायत्री की शादी, तय हो ही गई, मैं बहुत खुश हूँ, बस..! उन लोगो से लेनदेन की बात संभाल लेना, तुम तो जानती ही हो. आजकल महंगाई आसमान छू रही है.......सुलोचना जी ने अपनी बहु को बेटी बनाकर, बड़े ही प्यार से कहा..

जी हाँ..! माँ जी..महंगाई तो पिछले वर्ष भी आसमान से टिकी हुयी थी, जब आपने मेरे मायके वालों से लाखों का सोना और पूरी गृहस्थी का सामान मांग लिया था..खैर, वैसे मैंने मामाजी को फालतू खर्च की बजाय, मंदिर से शादी के लिए राजी कर लिया है.......रजनी ने अपनी सास के नहाने के गर्म पानी में, थोडा ठंडा पानी डालते हुए कहा..

   जितेन्द्र ' गीत '

 ( मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 959

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 12:49am

लघुकथा पर आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका हृदय से आभार आदरणीय अखिलेश जी, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 12:45am

लघुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया पाकर लेखनी की सार्थकता का प्रमाण मिलता है, अब आप इसे बहु का जवाब समझिये या समय की समय की करवट , और गर्म पानी से नहाना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है, :)

आदरणीय अरुण अनंत जी , आपका हार्दिक आभार  सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 20, 2013 at 12:36am

रचना पर आपकी सराहना पाकर, हृदय से आभारी हूँ आपका आदरणीय चंद्रशेखर जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 7:01pm

जय हो..  :-))))

कोशिशें रंग ला रही हैं. अब भाषा पर भी ध्यान देना शुरु करें..
शुभेच्छाएँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 19, 2013 at 6:35pm

दुसरों की बेटी को घर लाते वक़्त महँगाई का ध्यान भी न रहा और जब खुद पर पड़ी तो.....

ऐसी विचारधारा को समक्ष करते एक सामाजिक पहलू पर सुन्दर प्रयास है आ० जितेन्द्र जी 

बहुत्बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 19, 2013 at 1:05pm

क्या बात है आदरणीय

बहुत सुन्दर लघुकथा

और चलिए कम से कम उनकी बहु ने बदला नहीं लिया

Comment by AVINASH S BAGDE on November 19, 2013 at 10:44am

apane pe aate hi log deen ho jate hai warana shaah ...sunder laghukatha जितेन्द्र जी।

Comment by vijay nikore on November 19, 2013 at 10:27am

सुन्दर संदेश देती इस लघुकथा के लिए बधाई, आदरणीय जितेन्द्र जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by नादिर ख़ान on November 18, 2013 at 10:13pm

अच्छी लघुकथा और जिस ढंग से आपने लघुकथा का समापन किया है, बहुत पसंद आया बधाई स्वीकारें आदरणीय धर्मेंद्र जी ।

Comment by बृजेश नीरज on November 18, 2013 at 7:46pm

अच्छा कथ्य! आपको हार्दिक बधाई!

टाइपिंग की गलतियों और कहन की मजबूती व शिल्प पर और काम करने की जरूरत है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service