गाँव पँहुचने पर मैय्या जब पूछेगी मेरा हाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
मेरी चिरैया कितना उड़ती
पूछे जब उन आँखों से
पलक ना झपके उत्तर ढूंढें
तब तू जाना टाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
पूछेगी फिर बेला चमेली
कितनी चढ़ी ऊँचाई पर
इस घर में नही कोई सीढ़ी
छोटी है दीवाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
जब वो हंसती कितनी झरती
मुक्तक मणियाँ मुखड़े से
समझाना यहाँ मेरी झोली
अब है मालामाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
पूछेगी उसकी अँखियों का
कजरा अब कितना खिलता
खोल के तू अपने हाथों से
देना ये रुमाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
सुनके मेरी बातें अगर जो
मैय्या का उर भर आये
तुझको कसम है इस बहना की
लेना तू संभाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
*********************************
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सौरभ जी, मेरा प्रतीक्षारत गीत आपकी उपस्थिति और सराहना पाकर धन्य हुआ मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हार्दिक आभार आपका सादर|
आदरणीय विजय मिश्र जी आपको गीत उसके भाव प्रभावित कर सके मेरा लेखन कर्म सफल हुआ बहुत- बहुत आभार आपको.
परंपरागत गीतों की छाया में हुआ यह गीत वाकई हृदय की आर्द्र भूमि की उपज है. इस कोमल और भावुक गीत् अके लिए बधाई.
सादर
आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी गीत को पसंद करने के लिए हार्दिक आभार
आदरनीया रजेश कुमारी जी , बहुत सुन्दर गीत की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई !!!! बाक़ी आदार्णीया प्राची जी ने आपसे कह ही दिया है !!!!
प्रिय अरुन शर्मा आपको गीत उसके भाव प्रभावित कर सके मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ.
आदरणीया बहुत ही सुन्दर गीत रचा है आपने पढ़कर बेहद अच्छा लगा बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
जीतेन्द्र गीत जी गीत को आपका स्नेह मिला उसके मर्म को आपने महसूस किया हृदय से आभारी हूँ.
पूछेगी फिर बेला चमेली
कितनी चढ़ी ऊँचाई पर
इस घर में नही कोई सीढ़ी
छोटी है दीवाल सखी
कह देना पीहर से बढ़कर है मेरी ससुराल सखी
सच! बेहद सुंदर भाव व् शब्द सयोंजन, गीत को पढो तो आँखों के सामने एक सजीव चित्रण दिखाई देता है, बधाई स्वीकारें आदरणीया राजेश जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online