For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!! प्रयास , कृष्ण हो जाने का !! ( अतुकांत )

 

कालीदास

मौन शास्त्रार्थ में

खुले पंजे के जवाब में

मुक्का दिखाते हैं

विद्वान अर्थ लगाते हैं

उन्हें ख़ुद पता नहीं

वो शास्त्रार्थ जीत जाते हैं !!

भगवान कृष्ण !

एक अर्जुन को

एक बार गीता सुनाते हैं

विद्वान

सौ सौ टीकायें लिख डालते हैं

अर्थ भिन्नता के साथ

सभी के अपने अपने दावे

सभी के अपने तर्क !!!

तब !!

मेरा मन प्रश्न करता है

क्या कृष्ण हुये बिना

अर्जुन हुये बिना

गीता समझी जा सकती है ?

क्या रचनाकार के अन्दर समाये बिना

या वही हुये बिना

किसी की रचना समझी जा सकती है ?

अगर हाँ ,तो ज़रूर कृष्ण ने ऐसी कोई बात कही है

जिसके हज़ारों अर्थ हों !!!!

फिर मै जो अर्थ लगाऊँ वो भी सही !

अगर नहीं , तो

क्यों न हम दावे कृष्ण बनने के बाद ही करें

और तब तक हो

केवल प्रयास ,

कृष्ण हो जाने का !!!!!!

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 691

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on November 23, 2013 at 5:36pm
कितनी अच्छी बात कही है गिरिराजजी ! अभिभूत कर गया . निश्चित ही "शिवम भूत्वा शिव यजेत |" किसीके मर्म तक पहुँचना है तो उसके अनुरूप ढलना होगा | आभार
Comment by अरुन 'अनन्त' on November 23, 2013 at 4:02pm

आदरणीय गिरिराज सर भाव पक्ष दिल को छू गया बहुत ही सुन्दरता से रची है आपने यह रचना बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2013 at 7:52am

आदरनीय शिज्जू भाई , रचना मे आपका अनुमोदन पा कर मन प्रसन्न हो गया , मेहनत सफल हुई !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 23, 2013 at 7:49am

अरे वाह! क्या बात कही है आपनेl आपकी ये कविता कई कई अर्थ लिये हुये है, गूढ़ अर्थ लिये हुये हैl आपका कुछ अलग मिजाज़ देखने को मिला हैl इस रचना के लिये बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2013 at 7:44am

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , प्रस्तुति के अनुमोदन के लिये आपका  दिली शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2013 at 7:42am

आदरणीय जीतेन्द्र भाई , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 23, 2013 at 7:41am

आदरणीया अन्नपूरणा जी , रचना के अनुमोदन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!

Comment by ram shiromani pathak on November 22, 2013 at 11:56pm

आदरणीय गिरिराज जी सुन्दर प्रस्तुति । …हर्दिक बधाई आपको। । सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 22, 2013 at 11:10pm

क्यों न हम दावे कृष्ण बनने के बाद ही करें

और तब तक हो

केवल प्रयास ,

कृष्ण हो जाने का !!!!

सच! बहुत गहन सोच ली हुयी रचना, आप की लेखनी को नमन आदरणीय गिरिराज जी

Comment by annapurna bajpai on November 22, 2013 at 10:19pm

आदरणीय भण्डारी जी बहुत सुंदर कविता बधाई आपको । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service