वो अपने यार को छलने के बाद आते हैं
दिलों में दर्द उभरने के बाद आते हैं
चमकते चाँद सितारे गगन में लगता है
विरह की आग में जलने के बाद आते हैं
न कोई देख ले चेहरे की झुर्रियां यारों
तभी वो खूब सँवरने के बाद आते हैं
हमारे दर्द भी करते हैं नौकरी शायद
हमेशा शाम के ढलने के बाद आते हैं
तुम्हारी याद के जुगनू भी बेबफा तुम से
तमाम रात गुजरने के बाद आते हैं ..............दीप...............
मौलिक एवं अप्रकाशित
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आदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम ..........आपकी प्रतिक्रिया मिलना सौभाग्य होता है किसी रचनाकार का बुरा मानने की औकात नहीं अपनी
हाँ एक अनुरोध और निवेदन अवश्य है की इसीतरह उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन करते रहें ताकि कलम चलती रहे और कुछ नया करती रहे ................ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये
जय हो जय हो जय हो आपकी
आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीय विजय निकोर सर जी सराहना और उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से धन्यबाद ये स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय राजेश सर जी .....कोशिश करूँगा के कुछ लिखूं जिसपे आपकी जय हो बारम्बार मिले .......स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका
आदरणीय सूर्या बाली सर जी, आदरणीय श्यामनारायण जी, आप सभी का ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनांये रखिये सादर
आदरणीय अभिनव सर जी, आदरणीय विजय मिश्र जी, आदरणीय राम अवध जी, आदरणीय नीलेश जी, आप सभी की उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं मिलीं मन प्रसन्न हो उठा, ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका
आदरणीय धर्मेन्द्र सर, आदरणीया राजेश कुमारी जी ..आदरणीय राम भाई, आदरणीय अरुण भाई साहब इस हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत आभार स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया गीतिका दीदी, आदरणीय नादिर खान साहब, आदरणीय गोपाल सर, आदरणीय शिज्जू जी, आदरणीया अलका जी, आदरणीय जीतेन्द्र जी आप सभी का उत्साहवर्धन और सराहना के लिए ह्रदय से धन्यवाद
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय गिरिराज सर. आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आदरणीया मीना पाठक जी ....इस उत्साहवर्धन के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर आभार आपका
बुरा न मानियेगा भाई संदीपजी.. कि आज आ पाया हूँ आपकी इस ग़ज़ल पर.
एक मतला और उसके साथ चार अश’आर.. इतने ही से लूट ले गये यार !! ..
शुभ-शुभ
खूबसूरत गज़ल कही है, आदरणीय संदीप जी। हार्दिक बधाई।
सादर,
विजय निकोर
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