For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

***ऐ सांझ ,तू क्यूँ सिसकती है .......***

ऐ सांझ ,तू क्यूँ सिसकती है .......

ऐ सांझ ..
तू क्यूँ सिसकती है //
अभी कुछ देर में ..
तिमिर घिर जाएगा …
तिमिर की चादर में …
हर रुदन छुप जाएगा //
रुदन …
उस क्षण का …
जब एक ….
किलकारी ने ….
अपनी चीख से ब्रह्मांड में ….
सन्नाटा कर दिया //
रुदन उस क्षण का ….
जब एक कोपल …
एक वहशी की वासना का ….
शिकार हो गयी //
रुदन उस क्षण का …..
जब दानव बना मानव ……
दरिंदगी की सारी हदें …..
पार कर गया //
रुदन उस क्षण का …..
जब एक पुष्प से …..
कोई छद्मवेशी मानव …..
कुकृत्य कर …..
मानवता को …..
रक्त रंजित कर गया //
हाँ,
ऐ साँझ
ये तो रुदन तो …..
वक्त की सुईयों के साथ ….
शायद ….
धीरे धीरे …..
शून्यता में लीन हो जाएगा //
लेकिन क्या कोई …
एक मोमबत्ती जलाकर ….
इस रुदन के विरुद्ध आवाज उठाएगा ?
क्या कोई …
इस दरिन्दे के नुकीले नाखूनों से ….
माँ ,बहन,बीवी,और बेटी के …..
पावन रिश्ते को ….
लहू लुहान होने से बचाएगा ??
हाँ !
एक एक मोमबत्ती हम सब को …
इस दरिंदगी को ….
जड़ से मिटाने के लिए ….
जलानी होगी //
हर चुनरी की ,,,,
लाज बचानी होगी //
तभी ,
हाँ तभी ,
ऐ सांझ तू सुहानी होगी //
ऐ सांझ तू सुहानी होगी ……..


सुशील सरना

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 30, 2013 at 1:06pm

aa.Giriraj Bhandaaree jee rachna par aapke sneh ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on November 30, 2013 at 12:38pm

aa.Annnapuma bajpai jee rachna par aapkee aatmeey sneh ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on November 30, 2013 at 12:37pm

Dr.Gopal Narain Shrivastav jee aapkee aatmeey pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by Shyam Narain Verma on November 30, 2013 at 11:49am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by बृजेश नीरज on November 30, 2013 at 9:11am

जिस तरह से कविता शुरू हुई, आगे जाकर चरमराकर ढह गई.कविता को एडिटिंग की जरूरत है! बाकी आप स्वयं विद्वान् हैं. ये मेरे विचार हैं, आपका सहमत होना जरूरी नहीं.

बहरहाल, इस अभिव्यक्ति पर आपको हार्दिक बधाई!

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 30, 2013 at 6:39am

सुन्दर सोच लिये आपकी इस रचना के लिये आपको बधाई , आदरणीय !!!!!!

Comment by annapurna bajpai on November 29, 2013 at 10:22pm

आदरणीय सुशील जी काफी अच्छी रचना है । बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 29, 2013 at 8:05pm

सुशील जी

देश को इस आग , इस मशाल और इस मोमबत्ती  की बहुत जरूरत है

आपका कथ्य निसंदेह बहुत सुन्दर है  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service