बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22
बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है,
जान लेती रही हमेशा पर,
याद तेरी बहुत दुलारी है,
मौत से डर के लोग जीते हैं,
जिंदगी ये ही सबसे प्यारी है,
हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,
हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है....
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय अरुण भाई
तहे दिल से आपको बहुत बहुत बधाई
बहुत ख़ूब ...बधाई
आदरणीय अरुण भाई , !!! लाजवाब गज़ल , आपको बहुत बहुत बधाई !!!!!
हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है.//////////////////////भाई यहाँ कुछ कम समझ पाया मै...... सादर
आदरणीय अरुण अनंत भाई , !!! लाजवाब गज़ल कही है सभी शे र उम्दा हुये हैं , आपको बहुत बहुत बधाई !!!!!
बहुत खुबसूरत अशआर अरुण ,हार्दिक बधाई
आदरणीय भ्राताश्री आपकी नजर-ऐ-इनायत हुई मन प्रसन्न हो उठा, ग़ज़ल आपको पसंद आई इससे अधिक प्रसन्नता की बात मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती. आपकी बधाई हृदयतल से स्वीकार्य करता हूँ. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रखिये.
वाह वाह अरुन बाबू , बहुत खूब, अच्छी ग़ज़ल कही है, एक एक शेर पसंद आया, बहुत बहुत बधाई |
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