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प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?

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प्यार में होता सदा ही दर्द क्यों है ?
प्यार में अब चल रही यूँ कर्द क्यों है ?


यार को जो हैं समझते इक खिलौना
प्यार जाने हो गया अब नर्द क्यों है ?


है बिना दस्तक चला आता सदा जो
वो बना यूँ आज फिर हमदर्द क्यों है ?


छू रही है रूह मेरी आते जाते
यह तुम्हारी साँस इतनी सर्द क्यों है ?


अपनी यादों को समेटे जब गए हो

आज यादों की उठी फिर गर्द क्यों है ?


प्यार पर है जुल्म करता रोज ही जो
यह जमाना हो गया बेदर्द क्यों है ?


तुम समझती हो मुहब्बत जिसको सरिता
वो बना तेरे लिए सरदर्द क्यों है ?

कर्द ..छुरी 

नर्द .. चौसर 

...मौलिक एवं संशोधित ....

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Comment

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Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 7, 2013 at 9:21am

ग़ज़ल के लिए बधाई 
काफ़िये के लिए विशेष बधाई ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on December 6, 2013 at 9:38pm

शानदार ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ...................

Comment by umesh katara on December 6, 2013 at 5:28pm

बधायी स्वीकार करें ।।।अच्छी गज़ल हुयी है वाहहहहहह

Comment by Meena Pathak on December 6, 2013 at 2:29pm

बहुत सुन्दर गज़ल हुई | बधाई स्वीकारे आदरणीया 

Comment by Tapan Dubey on December 6, 2013 at 11:46am

अच्छी गजल के लिए बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on December 6, 2013 at 11:45am
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Sarita Bhatia on December 6, 2013 at 9:28am

आदरणीय शिज्जू जी हार्दिक आभार उत्साहवर्धन करते रहें 

Comment by Sarita Bhatia on December 6, 2013 at 9:28am

आदरणीया कुंती जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on December 6, 2013 at 9:27am

आदरणीय गिरिराज जी शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 6, 2013 at 7:53am

अच्छा प्रयास आदरणीय सरिता जी बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

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