बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22
जिस्म में जान जब नही होगी,
शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी....
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय गुरुदेव श्री आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीया राजेश माँ जी आपका आशीष मिला ग़ज़ल पूर्ण हुई आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
हार्दिक आभार भाई नीरज मिश्र प्रेम जी प्रेम यूँ ही बना रहे भाई
आदरणीया प्राची दीदी ग़ज़ल आपको पसंद आई जानकर प्रसन्नता हुई आपका आशीष मिला मैं धन्य हुआ आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
वाह वाह आदरणीय गिरिराज सर आपके स्नेह से अभिभूत हूँ स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
हार्दिक आभार आदरणीय संदीप भाई साहब स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
सुंदर ग़ज़ल ... बधाई ...हर शेर जम रहा है ..मतले में हँसी को हसीं कर लें ...
सादर
प्रिय अनंत जी शानदार दमदार गजल के लिए बधाइयां गिरिराज भाई की ख़ास गजल आप के लिए
जानदार है
आभार
भ्रमर ५
छोटी बहर की शानदार जानदार ग़ज़ल के लिए बधाईयाँ,
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online