गाली देते लोग जो , बोलें कभी सटीक,
गाली या अपशब्द क्या, लगते प्रेम प्रतीक ?
लगते प्रेम प्रतीक, कूल क्या उन्हें समझना
उनका ही उपहास, समझते जिनको अपना ||
यह तो है अपवाद, कहें सब प्रिय को साली.
स्नेह-प्रीति संवाद, न समझें इसको गाली ||
.
(2)
तू तू मै मै में करे, आपस में जो बात,
समझें इसको सभ्यता, या उनकी औकात |
या उनकी औकात, स्नेह की कहाँ निशानी
निखर सके व्यक्तित्व, अगर दिल हो इन्सानी |
कहे लक्ष्मण शब्द, सभ्य-कुल में जो जन्मे
मन में हो सद्भाव, करे क्यों तू तू मै मै ||
(मौलिक व् अप्रकाशित)
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wah sunder kundli kahi hn
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