For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'साहेब हमरी किडनी ख़राब है  I  इलाजु चलि रहा है I  उनकी जगह हमरे लरिकऊ का नौकरी तो दिहेव मालिक पर अकेलु लरिका नोडा (नॉएडा) चला जाई तो हमार देखभाल कौन करी I  इसै हियें लखनऊ माँ जगह दै देव साहेब , नहीं तो ई बुढ़िया मरि जाई I

'हाँ साहेब !" बेटे ने भी हाथ जोड़कर मिन्नत की I

' ठीक है, तुम लोग बाहर जाओ I  मै कुछ करता हूँ  I" 

माँ-बेटे बाहर चले गए I 'थोड़ी देर में  माँ को बाहर छोड़ कर बेटा फिर अन्दर आया I

'येस?' - साहेब ने प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा I

'सर,  मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं है i मंदबुद्धि है I  उसे पता नहीं है कि यहाँ लखनऊ में कोई कैरियर नहीं है I  साहेब मुझे नॉएडा में ही ----'

मौलिक /अप्रकाशित

(संशोधित)

Views: 865

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 11, 2013 at 8:24am

भावुक सत्य को देखते हुए बहुत ही सही विषय पर आपने अपनी रचना साझा की, हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय डा.गोपाल जी,

Comment by vijay nikore on December 11, 2013 at 7:59am

दुखद सत्य की अभिव्यक्ति करने में आपकी लघु कथा सफ़ल हुई है।

बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by coontee mukerji on December 10, 2013 at 9:40pm

लघु कथा के विषय में मैंने बहुत ही अच्छी जानकारी प्राप्त की जिनसे मैं अनभिज्ञ थी,धन्यवाद योगराज जी. धन्यवाद गोपाल जी.

सादर

कुंती

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 7:42pm

आदरणीय योगराज जी

प्रणाम

आपकी  रचना पर उपस्थिति से मै कृतकृत्य हुआ i आपके सुझाव और मार्ग दर्शन का हार्दिक स्वागत है i  यह  मेरा आगे का पथ  अवश्य प्रशस्त करेगा  i  आपसे इसी स्नेह और मार्गदर्शन की अपेक्षा रहेगी i

सादर आदरणीय i


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 10, 2013 at 7:17pm

आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, लघुकथा बेहद बन पड़ी है,  जिस हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है.


देखिये, लघुकथा एक बेहद नाज़ुक सी विधा है, इसमें अपनी बात केवल उतने ही शब्दों में कहनी होती है जितने कि अतयंत ज़रूरी हों. एक भी फालतू शब्द/वाक्य/पात्र रचना का सौंदर्य कम कर सकता है. अब अगर आपकी इस लघुकथा के हवाले से बात की जाये तो शब्द/वाक्य/पात्र की गैर ज़रूरी उपस्थिति यहाँ भी दृष्टिगोचर हो रही है. मसलन:


//  साहेब ने चपरासी से कहा  -'बड़े बाबू को बुलाओ I '// यह सभी शब्द, यानि पूरे का पूरा वाक्य ही गैर ज़रूरी है. यही नहीं चपरासी और बड़े बाबू का ज़िक्र न भी होता तो कोई फर्क नहीं पड़ता था.

दूसरी उदहारण देखें:
//'सर,  मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं है i बेवकूफ है I //
 माँ को बेवक़ूफ़ कहने की तरफ भाई निलेश जी पहले ही इशारा कर चुके हैं. इसके स्थान पर यदि 'सर, माँ तो अनपढ़ है" ही कह दिया जाता तो न केवल माँ के लिए असम्मानजनक शब्द से ही बचाव होता बल्कि लघुकथा और चुस्त व कसावदार भी हो जाती।   

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 6:45pm

रवि प्रभाकर जी

आपकी भावनाओ का कृतज्ञ हूँ i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 6:43pm

नीलेश जी

आपकी भावनाओ का स्वागत i

आज की सच्चाई इतनी ही कसैली हो चुकी है i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 6:41pm

मित्र गिरिराज

आपका शत -शत आभार  i  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 6:39pm

राहुल देव

आपका आभार i

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 4:08pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी  , आज के बहुत से परिवारों के माता पिता  का  दुखद सत्य !!!! बच्चों के दोहरे चरित्र को दिखलाती आपकी लघु कथा के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
22 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service