For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन अशांत चेहरा शान्‍त

आँखे शुन्‍य में निहारती

चारो तरफ था शोर था

मेरी गोद में सोया

मेरा सुहाग था

जीवन का उजाला

बच्‍चों का पालक

मेरा साहस मेरा श्रृंगार था

आज बीमार था

यहाँ मौत से थी जंग

वहाँ हड़तालियों की

वार्ता सरकार के संग

रोके थे गाड़ीयों के पहिये

आवाज साथीयों साथ रहीये

आती थी हिचिकियाँ बार बार

मौत का मौन निमंन्‍त्रण

मैं लाचार,कैसे चले पहीये

मेरा बच्‍चा जो चुप था

पूछा अम्‍मा यह

कहाँ का न्‍याय है

अपने स्‍वार्थ के लिये

पहिये क्‍यों रोके हैं

मेरे पापा की तरह

और कितने इस तरह

मरने पर क्‍यों मजबूर है

तभी गोद में सोया मेरा

सुहाग लिया लम्‍बी साँस 

सो गया चिरनिन्‍द्रा में

टूट गयी उसकी साँसे

सूनी हो गई किसी की गोद

सफेद हो गयी मेरी साड़ी

अनाथ हो गये बच्‍चे

टूट गये सब सपने

मगर अखंड

ना टूटी ये हड़ताल

ना बढ़े पहिये।

लुट गया हमारा संसार

आज नहीं तो कल

टूटेगी ये हड़ताल

चल पडे़गें

फिर गाड़ीयों के पहिये

मगर अखंड अब कभी ना

लौटेगा हड़ताल की भेट चढ़ा

मेरा सुहाग, मेरा श्रृंगार

मेरा श्रृंगार।

 

मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमरी की रचना

Views: 430

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 12:29am

अखंड भाईजी.. आप अक्षरी या हिज्जे और व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धियों की तरफ़ एकदम से संवेदनशील हो जाइये. कविता आदि इसके बाद स्वयं होती रहेगी. शुभेच्छाएँ.. .

Comment by Akhand Gahmari on December 16, 2013 at 5:59pm

प्रणाम आदरणीय  गिरिराज भंडारी जी   आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍सावर्धन का सदैव आकांक्षी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2013 at 5:57pm

आदरणीय अखंड भाई , दंगा , हड़ताल का दूसरा दुखद पक्ष बताने मे आपकी रचना सफल रही है , आपको बहुत बधाई ॥

Comment by Akhand Gahmari on December 16, 2013 at 2:54pm

"Dr Ashutosh Mishra  जी का यें संदेश गलती से डिलिट हो गया जिस के लिये हम डाक्‍टर साहब एंव आप सब से क्षमा प्रार्थी है आदरणीय अखंड जी .. हड़ताल की बिभीशिका को दर्शाती इस सुंदर कृति पर मेरी तरफ से तहे दिल बधाई सादर "

Comment by Akhand Gahmari on December 16, 2013 at 2:53pm

प्रणाम आदरणीय  Dr Ashutosh Mishra जी   आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍सावर्धन का सदैव आकांक्षी

Comment by Akhand Gahmari on December 16, 2013 at 2:11pm

प्रणाम आदरणीय डा गोपाल नारायण श्रीवास्‍तव जी   आपके मार्गदर्शन एवं उत्‍सावर्धन का सवैद आकांक्षी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 16, 2013 at 2:07pm

अखंड जी /मित्र

हड़ताल के सामाजिक दुश्परिनामो को इंगित करती 

इस  कविता का उद्देश्य सार्थक  है i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service